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________________ पंचम वक्षस्कार - चमरेन्द्र आदि का आगमन ३६१ जोयणसयाई एवमसुरिंदवजियाणं भवणवासिइंदाणं, णवरं असुराणं ओघस्सरा घण्टा णागाणं मेघस्सरा सुवण्णाणं हंसस्सरा विज्जूणं कोंचस्सरा अग्गीणं मंजुस्सरा दिसाणं मंजुघोसा उदहीणं सुस्सरा दीवाणं महुरस्सरा वाउणं णंदिस्सरा थणियाणं णंदिघोसा। चउसट्ठी सट्ठी खलु छच्च सहस्सा उ असुरवजाणं। सामाणिया उ एए चउग्गुणा आयरक्खा उ॥ १॥ दाहिणिल्लाणं पायत्ताणीयाहिवई भद्दसेणो उत्तरिल्लाणं दक्खोत्ति । वाणमंतरजोइसिया णेयव्वा, एवं चेव, णवरं चत्तारि सामाणियसाहस्सीओ चत्तारि अग्गमहिसीओ सोलस आयरक्खसहस्सा विमाणा सहस्सं महिन्दज्झया पणवीसं जोयणसयं घण्टा दाहिणाणं मंजुस्सरा उत्तराणं मंजुघोसा पायत्ताणीयाहिवई विमाणकारी य आभिओगा देवा जोइसियाणं सुस्सरा सुस्सरणिग्योसाओ घण्टाओ मंदरे समोसरणं जाव पज्जुवासंतित्ति। भावार्थ - उस काल, उस समय चमरचंचा राजधानी के अन्तर्गत, सुधर्मा सभा में चमर नामक सिंहासन पर अवस्थित असुरेन्द्र, असुरराज चमर अपने चौसठ हजार सामानिक देवों, तैंतीस त्रायझिंश देवों, चार लोकपालों, सपरिवार पाँच प्रधान देवियों, तीन परिषदों, सात सेनाओं, सात अनीकाधिपति देवों से घिरा हुआ, सौधर्मेन्द्र शक्र की ज्यों आता है। इतना अन्तर है - उसके पैदल सेनाधिपति का नाम द्रुम है। उसकी घंटा का नाम ओघस्वरा है। उसका विमान पचास हजार योजन विस्तार युक्त है। महेन्द्र ध्वज का विस्तार ५०० योजन है। विमानकारी आभियोगिक देव हैं। अवशिष्ट समस्त वर्णन पूर्वानुरूप है यावत् वह मंदर पर्वत पर आता है, पर्युपासना करता है। उस काल, उस समय असुरेन्द्र, असुरराज बलि उसी प्रकार मंदर पर्वत पर उपस्थित होता है। इतना अन्तर है-उसके सामानिकदेव साठ सहस्त्र हैं, आत्म रक्षक देव उनसे चार गुने हैं। पैदल सेना के अधिपति का नाम महाद्रुम है। घंटा का नाम महोघस्वरा है। अवशिष्ट परिषद् आदि विषयक वर्णन जीवाभिगम सूत्र के अनुसार है। उसी तरह धरणेन्द्र के आने का वृत्तान्त है। इतना अन्तर है-उसके सामानिक देव छह सहस्त्र Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004179
Book TitleJambudwip Pragnapti Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2004
Total Pages498
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_jambudwipapragnapti
File Size9 MB
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