________________
चतुर्थ वक्षस्कार - शिखरी वर्षधर पर्वत
३३१ 9-19-19-19-*
+9-9-12--2--0-0-19-2--------------------9-19-19-19-19-19-08-
सिहरिम्मि णं भंते! वासहरपव्वए कइ कूडा पण्णत्ता?
गोयमा! इक्कारस कूडा पण्णत्ता, तंजहा-सिद्धाययणकूडे १ सिहरिकूडे २ हेरण्णवयकूडे ३ सुवण्णकूलाकूडे ४ सुरादेवीकूडे ५ रत्ताकूडे ६ लच्छीकूडे ७ रत्तवईकूडे ८ इलादेवीकूडे ६ एरवयकूडे १० तिगिच्छिकूडे ११ एवं सव्वेविकूडा पंचसइया रायहाणीओ उत्तरेणं।
से केणट्टेणं भंते! एवमुच्चइ-सिहरिवासहरपव्वए २?
गोयमा! सिहरिंमि वासहरपव्वए बहवे कूडा सिहरिसंठाणसंठिया सव्वरयणामया सिहरी य इत्थ देवे जाव परिवसइ, से तेणटेणं०। ... भावार्थ - हे भगवन्! जम्बूद्वीप में शिखरी संज्ञक वर्षधर पर्वत किस स्थान पर बतलाया गया है? __ हे गौतम! हैरण्यवत की उत्तर दिशा में ऐरावत की दक्षिण दिशा में, पूर्वदिग्वर्ती लवण समुद्र की पश्चिम दिशा में एवं पश्चिम दिग्वर्ती लवण समुद्र की पूर्व दिशा में शिखरी संज्ञक वर्षधर पर्वत बतलाया गया है। वह चुल्लहिमवान् पर्वत के समान है। ___इतना अन्तर है - उसकी जीवा दक्षिण दिशा में तथा उसका धनुपृष्ठ भाग उत्तर दिशा में है। अवशिष्ट वर्णन चुल्ल हिमवान वर्षधर पर्वत के समान है। इस पर्वत पर पुण्डरीक नामक द्रह है। उसके दक्षिणी-तोरण से सुवर्णकूला नामक महानदी उद्गत होती है। वह रोहितांश के सदृश पूर्व दिग्वर्ती लवण समुद्र में मिलती है। यहाँ रक्ता और रक्तवती का वर्णन भी गंगा और सिंधु के सदृश ज्ञातव्य है। रक्ता महानदी पूर्व दिशा में तथा रक्तवती पश्चिम दिशा में बहती है। अवशिष्ट वर्णन उन्हीं – गंगा सिन्धु के सदृश है। - हे भगवन्! शिखरी वर्षधर पर्वत के कितने कूट आख्यात हुए हैं?
हे गौतम! उसके ११ कूट कहे गए हैं - .. १. सिद्धायतन कूट २. शिखरी कूट ३. हैरण्यवत कूट ४. सुवर्णकूला कूट ५. सुरादेवी कूट ६. रक्ता कूट ७. लक्ष्मी कूट ८. रक्तावती कूट ६. इलादेवी कूट १०. ऐरावत कूट ११. तिगिच्छ कूट। - ये समस्त कूट ५००-५०० योजन ऊँचे हैं। इनके अधिष्ठायक देवों की राजधानियाँ उत्तर की ओर हैं।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org