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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
शब्दार्थ - कण्डा - काण्ड-विशिष्ट परिमाणानुगत विच्छेद-विभाग, पुढवी - मृतिका रूप, उवले - पाषाण रूप, वइरे - हीरकमय, सक्करा - कंकड रूप।
भावार्थ - हे भगवन्! मंदरपर्वत के कितने काण्ड कहे गये हैं?
हे गौतम! उसके तीन काण्ड कहे गये हैं। वे इस प्रकार हैं - १. अधस्तन काण्ड - नीचे का विभाग। २. मध्यम काण्ड - बीच का विभाग। ३. उपरितन काण्ड - ऊपर का विभाग।
हे भगवन्! मंदर पर्वत का अधस्तन काण्ड कितने प्रकार का परिज्ञापित हुआ है? ... हे गौतम! वह चार प्रकार का परिज्ञापित हुआ है - १. पृथ्वीमय २. पाषाणमय ३. हीरकमय एवं ४. शर्करामय। ... हे भगवन्! उसका मध्यम विभाग कितने तरह का कहा गया है?
हे गौतम! वह चार तरह का कहा गया है-१. अंकरत्नमय २. स्फटिकमय ३. स्वर्णमय एवं ४. रजतमय।
हे भगवन्! उसका उपरितन विभाग कितने प्रकार का वर्णित हुआ है?
हे गौतम! वह एक प्रकार का वर्णित हुआ है। वह सर्वथा जंबूनद संज्ञक उच्च जातीय स्वर्ण निर्मित है।
हे भगवन्! मंदर पर्वत का अधस्तन विभाग ऊँचाई में कितना बतलाया गया है? हे गौतम! वह ऊँचाई में एक हजार योजन बतलाया गया है। हे भगवन्! मंदर पर्वत के मध्य काण्ड की ऊँचाई कितनी है? . हे गौतम! उसकी ऊँचाई तिरेसठ हजार योजन बतलाई गई है। हे भगवन्! मंदर पर्वत के ऊपर के विभाग की ऊँचाई कितनी बतलाई गई है? हे गौतम! उसकी ऊँचाई छत्तीस हजार योजन बतलाई गई है। इस प्रकार उसकी कुल ऊँचाई का परिमाण एक लाख योजन है।
मंदर पर्वत के नाम
(१३८) मंदरस्स णं भंते! पव्वयस्स कइ णामधेजा पण्णता? गोयमा! सोलस णामधेजा पण्णत्ता, तंजहा
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