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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र **-10-100-10-08-0---24-04-10-04-10-08-19-04-04--08-10-14-04-4-28-08-08-08-12-12--04-04-02-08-000000-00-00-80
मंदर पर्वत की चूलिका के पूर्व में, पंडकवन में पचास योजन जाने पर अवगाहित करने पर एक विशाल भवन आता है। सौमनस वन के भवन, पुष्करिणियाँ प्रासाद इत्यादि के प्रमाण विस्तार इत्यादि से सम्बन्धि पाठ-वर्णन पूर्ववत् ज्ञातव्य है यावत् शक्रेन्द्र, ईशानेन्द्र एवं उनके भवन आदि का वर्णन प्रमाण-विस्तार भी पूर्ववत् है।
अभिषेक शिलाएं
(१३६) पण्डगवणे णं भंते! वणे कइ अभिसेयसिलाओ पण्णत्ताओ?
गोयमा! चत्तारि अभिसेयसिलाओ पण्णत्ताओ, तंजहा-पंडुसिला १ पण्डुकंबलसिला २ रत्तसिला ३ रत्तकम्बलसिलेति ४।. .
कहि णं भंते! पण्डगवणे पण्डुसिला णामं सिला पण्णत्ता?
गोयमा! मंदरचूलियाए पुरत्थिमेणं पंडगवणपुरथिमपेरंते एत्थ णं पंडगवणे पंडुसिला णामं सिला पण्णत्ता, उत्तरदाहिणायया पाईणपडीण-विच्छिण्णा अद्धचंदसंठाण-संठिया पंचजोयणसयाई आयामेणं अड्डाइजाइं जोयणसयाई विक्खम्भेणं चत्तारि जोयणाई बाहल्लेणं सव्वकणगामई अच्छा वेइयावणसंडेणं सव्वओ समंता संपरिक्खित्ता वण्णओ, तीसे णं पण्डुसिलाए चउद्दिसिं चत्तारि तिसोवाण-पडिरूवगा पण्णत्ता जाव तोरणा वण्णओ, तीसे णं पण्डुसिलाए उप्पिं बहुसमर-मणिजे भूमिभागे पण्णत्ते जाव देवा आसयंति०।। ___ तस्स णं बहुसमरमणिजस्स भूमिभागस्स बहुमज्झदेसभाए उत्तरदाहिणेणं एत्थ णं दुवे सीहासणा पण्णत्ता पंच धणुसयाई आयामविक्खम्भेणं अड्डाइजाई धणुसयाई बाहल्लेणं सीहासणवण्णओ भाणियव्वो विजयदूसवजोत्ति। तत्थ णं जे से उत्तरिल्ले सीहासणे तत्थ णं बहूहिं भवणवइवाणमंतरजोइसियवेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य कच्छाइया तित्थयरा अभिसिच्चंति, तत्थ णं जे से दाहिणिल्ले सीहासणे तत्थ णं बहूहिं भवण जाव वेमाणिएहिं देवेहिं देवीहि य वच्छाइया तित्थयरा अभिसिच्वंति।
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