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चतुर्थ वक्षस्कार - निषधद्रह
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चित्र विचित्र कूट पर्वत
(१२७) कहि णं भंते! देवकुराए २ चित्तविचित्तकूडा णाम दुवे पव्वया पण्णता?
गोयमा! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ अट्टचोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए सीओयाए महाणईए पुरत्थिमपच्चत्थिमेणं उभओकूले एत्थ णं चित्तविचित्तकूडा णामं दुवे पव्वया पण्णत्ता, एवं जच्चेव जमगपव्वयाणं० सच्चेव०, एएसिं रायहाणीओ दक्खिणेणंति।
भावार्थ - हे भगवन्! देवकुरु के अन्तर्गत चित्र एवं विचित्र नामक दो पर्वत किस स्थान पर बतलाए गए हैं?
हे गौतम! निषध पर्वत के उत्तरी अंतिम छोर से ८३४- योजन की दूरी पर शीतोदा महानदी के पूर्व-पश्चिम के अंतराल में, उसके दोनों किनारों पर चित्रकूट एवं विचित्रकूट नामक दो पर्वत बतलाए गए हैं। यमक पर्वतों का जिस प्रकार का वर्णन है, उसी प्रकार इनका है। इनकी राजधानियाँ दक्षिण में हैं।
निषधद्रह
(१२८) - कहि णं भंते! देवकुराए २ णिसढद्दहे णामं दहे पण्णत्ते?
गोयमा! तेसिं चित्तविचित्तकूडाणं पव्वयाणं उत्तरिल्लाओ चरिमंताओ अट्ठचोत्तीसे जोयणसए चत्तारि य सत्तभाए जोयणस्स अबाहाए सीओयाए महाणईए बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं णिसहद्दहे णामं दहे पण्णत्ते, एवं जच्चेव णीलवंतउत्तरकुरुचंदेरावमालवंताणं वत्तव्वया सच्चेव णिसहदेवकुरुसूरसुलसविज्जुप्पभाणं णेयव्वा, रायहाणीओ दक्खिणेणंति।
भावार्थ - हे भगवन्! देवकुरु में निषध नामक द्रह कहाँ बतलाया गया है?
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