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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
हे गौतम! चित्र-विचित्र नामक.दो पर्वतों के उत्तरी अन्तिम छोर से ८३४ = योजन की दूरी पर, शीतोदा महानदी के ठीक बीच में निषधद्रह का स्थान बतलाया गया है। नीलवान्, उत्तरकुरु, चंद्र, ऐरावत एवं माल्यवान् - इन द्रहों का जैसा वर्णन कहा गया है, वैसा ही निषध, देवकुरु सूर, सुलस तथा विद्युत्प्रभ द्रहों के सम्बन्ध में कथनीय है। इनकी राजधानियाँ दक्षिण में हैं। .
कूटशाल्मली पीठ
(१२६) कहि णं भंते! देवकुराए २ कूडसामलिपेढे णामं पेढे पण्णत्ते?
गोयमा! मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणपच्चत्थिमेणं णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं विजुप्पभस्स वक्खारपव्वयस्स पुरथिमेणं सीओयाए महाणईए पच्चत्थिमेणं देवकुरुपच्चत्थिमद्धस्स बहुमज्झदेसभाए एत्थ णं देवकुराए कूडसामलीपेढे णामं पेढे पण्णत्ते, एवं जच्चेव जम्बूए सुदंसणाए वत्तव्वया सच्चेव सामलीएवि भाणियव्वा णामविहूणा गरुलदेवे रायहाणी दक्खिणेणं अवसिडें तं चेव जाव देवकुरू य इत्थ देवे० पलिओवमट्टिइए परिवसइ, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइदेवकुरा २, अदुत्तरं च णं० देवकुराए०॥
भावार्थ - हे भगवन्! देवकुरु में कूटशाल्मली पीठ या सेमल पेड़ के आकार में शिखर रूप पीठ कहाँ बतलाया गया है? __हे गौतम! मंदर पर्वत के दक्षिण-पश्चिम में, निषध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, विद्युत्प्रभ वक्षस्कार पर्वत के पूर्व में तथा शीतोदा महानदी के पश्चिम में, देवकुरु के पश्चिमार्द्ध के बीचोंबीच कूट शाल्मली पीठ का स्थान बतलाया गया है। कूट शाल्मली पीठ के वर्णन हेतु जम्बू सुदर्शना के स्थान पर कूट शाल्मली पीठ का नाम योजनीय है। गरुड़ इसका अधिष्ठाता देव है। राजधानी दक्षिण में है। शेष वर्णन जम्बू सुदर्शना के तुल्य है यावत् यहाँ पल्योपम स्थितिक देव निवास करता है।
हे गौतम! इस कारण वह देवकुरु (देवकुरा) के नाम से अभिहित हुआ है अथवा इसका यह नाम पड़ा है।
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