________________
- चतुर्थ वक्षस्कार - वत्स आदि विजय
२६५ **---------------*-*-*-*--*-*--*-*-*-*-*-*-08-08-08-10-28-02-18-19-10-28-*-*-*-*-*-*-* वच्छावई विजए पभंकरा रायहाणी ४, मत्तजला णई रम्मे विजए अंकावई रायहाणी ५, अंजणे वक्खारपव्वए रम्मगे विजए पम्हावई रायहाणी ६, उम्मत्तजला महाणई रमणिज्जे विजए सुभा रायहाणी ७, मायंजणे वक्खारपत्वए मंगलावई विजए रयणसंचया रायहाणीति ८, एवं जह चेव सीयाए महाणईए उत्तरं पासं तह
चेव दक्खिणिल्लं भाणियव्वं, दाहिणिल्लसीयामुहवणाइ, इमे वक्खारकूडा, तंजहा - तिउडे १ वेसमणकूडे २ अंजणे ३ मायंजणे ४, (णईउ तत्तजला १ मत्तजला २ उम्मत्तजला ३) विजया, तंजहा - गाहा - वच्छे सुवच्छे महावच्छे, चउत्थे वच्छगावई।
. रम्मे रम्मए चेव, रमणिजे मंगलावई॥१॥
रायहाणीओ, तंजहागाहा - सुसीमा कुण्डला चेव, अवराइय पहंकरा। - अंकावई पम्हावई, सुभा रयणसंचया॥२॥ . वच्छस्स विजयस्स णिसहे दाहिणेणं सीया उत्तरेणं दाहिणिल्लसीयामुहवणे पुरथिमेणं तिउडे पच्चत्थिमेणं सुसीमा रायहाणी पमाणं तं चेवेति, वच्छाणंतरं तिउडे तओ सुवच्छे विजए एएणं कमेणं तत्तजला णई महावच्छे वेस्रमणकूडे वक्खारपव्वए वच्छावई विजए मत्तजला णई रम्मे विजए अंजणे वक्खारपव्वए रम्मए विजए उम्मत्तजला णई रमणिज्जे विजए मायंजणे वक्खारपव्वए मंगलावई विजए।
भावार्थ - हे भगवन्! जम्बूद्वीप में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत वत्स नामक विजय कहाँ प्रतिपादित हुआ है?
- हे गौतम! निषध वर्षधर पर्वत की उत्तर दिशा में शीता महानदी की दक्षिण दिशा में दक्षिणी शीतामुख वन की पश्चिम दिशा में तथा त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत की पूर्व दिशा में जम्बूद्वीप में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत वत्स नामक विजय प्रतिपादित हुआ है। उसका प्रमाण पूर्वानुरूप है। उसकी सुसीमा नामक राजधानी है।
त्रिकूट वक्षस्कार पर्वत पर सुवत्स नामक विजय है। उसकी कुण्डला संज्ञक राजधानी है।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org