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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र - **-*-42-48-18-18-12-28-122010-22-28-02-10-02-10-22-12-28-12-12-----28-08-12-12-08-28-18-20-00-00-0-12-2017-08-10 णामं वणे पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए तहेव सव्वं णवरं णिसहवासहरपव्वयंतेणं एगमेगूणवीसइभागं जोयणस्स विक्खंभेणं किण्हे किण्होभासे जाव महया गंधद्धणिं मुयंते जाव आसयंति० उभओ पासिं दोहिं पउमवरवेइयाहिं० वण वण्णओ इति। ____भावार्थ - हे भगवन्! जम्बूद्वीप में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत, शीता महानदी के दक्षिण में, शीतामुख वन कहाँ बतलाया गया है?
हे गौतम! शीता महानदी के उत्तर में विद्यमान शीतामुख वन के वर्णन समान ही दक्षिण दिशावर्ती शीतामुख वन का वर्णन कहाँ योजनीय है। इतना अन्तर है - दक्षिण दिशावर्ती शीतामुख वन निषेध वर्षधर पर्वत के उत्तर में, शीता महानदी के दक्षिण में, पूर्व दिशावर्ती लवण समुद्र के पश्चिम में, वत्स विजय की पूर्व दिशा में, जम्बूद्वीप में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत विद्यमान है।
वह उत्तर-दक्षिण लम्बा है। शेष वर्णन उत्तरदिशावर्ती शीतामुख वन के समान है। इतना अन्तर है - वह क्रमशः घटते-घटते निषध वर्षधर पर्वत के समीप योजन चौड़ा रह जाता है। वह कृष्ण वर्ण एवं आभा युक्त है यावत् उससे बड़ी सुगन्ध प्रस्फुटित होती है यावत् देवदेवियाँ वहाँ विश्राम करते हैं। वह दोनों तरफ दो पद्मवर वेदिकाओं एवं दो वनखण्डों से परिवेष्टित है इत्यादि समस्त वर्णन पूर्ववत् कथनीय है।
वत्स आदि विजय
(१२४) कहि णं भंते! जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पण्णत्ते?
गोयमा! णिसहस्स वासहरपव्वयस्स उत्तरेणं सीयाए महाणईए दाहिणेणं दाहिणिल्लस्स सीयामुहवणस्स पच्चत्थिमेणं तिउडस्स वक्खारपव्वयस्स पुरत्थिमेणं एत्थ णं जम्बुद्दीवे दीवे महाविदेहे वासे वच्छे णामं विजए पण्णत्ते तं चेव पमाणं सुसीमा रायहाणी १, तिउडे वक्खारपव्वए सुवच्छे विजए कुण्डला रायहाणी २, तत्तजलाणई महावच्छे विजए अपराजिया रायहाणी ३, वेसमणकूडे वक्खारपव्वए
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