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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
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भावार्थ - हे भगवन्! महाविदेह क्षेत्र में महाकच्छ नामक विजय कहां कहा गया है?
हे गौतम! नीलवान् वर्षधर पर्वत की दक्षिण दिशा में शीता महानदी की उत्तर दिशा में, पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत की पश्चिम दिशा में तथा ग्राहावती महानदी की पूर्व दिशा में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत महाकच्छ नामक विजय कहा गया है। अवशिष्ट समस्त वर्णन कच्छ विजय की तरह है। (अन्तर यह है - उसकी राजधानी का नाम अरिष्टा है) यावत् परम ऋद्धिशाली महाकच्छ नामक देव निवास करता है। उसका वर्णन पूर्वानुसार है।
पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत
(११४) कहि णं भंते! महाविदेह वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते?
गोयमा! णीलवंतस्स० दक्खिणेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं महाकच्छस्स पुरथिमेणं कच्छावईए पच्चत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे पम्हकूडे णामं वक्खारपव्वए पण्णत्ते, उत्तरदाहिणायए पाइणपडीणविच्छिण्णे सेसं जहा चित्तकूडस्स जाव आसयंति० पम्हकूडे चत्तारि कूडा पण्णत्ता, तंजहासिद्धाययणकूडे पम्हकूडे महाकच्छकूडे कच्छावइकूडे एवं जाव अट्ठो, पम्हकूडे य इत्थ देवे महिड्डिए० पलिओवमट्ठिइए परिवसइ, से तेणटेणं गोयमा! एवं वुच्चइ०।
भावार्थ - हे भगवन्! महाविदेह क्षेत्र में पद्मकूट नामक पर्वत कहां निरूपित हुआ है?
हे गौतम! नीलवान् वक्षस्कार पर्वत की दक्षिण दिशा में, शीता महानदी की उत्तर दिशा में, महाकच्छ विजय की पूर्व दिशा में कच्छावती विजय की पश्चिम दिशा में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत पद्मकूट संज्ञक वक्षस्कार पर्वत निरूपित हुआ है। वह उत्तर दक्षिण लम्बा तथा पूर्व पश्चिम चौड़ा है। शेष वर्णन चित्रकूट की तरह योजनीय है यावत् वहाँ देव विश्राम करते हैं। उसके चार कूट बतलाए गए हैं - १. सिद्धायतन कूट २. पद्म कूट ३. महाकच्छ कूट तथा ४. कच्छावती कूट यावत् इनका वर्णन पूर्वानुसार योजनीय है।
एक पल्योपम आयुष्य युक्त पद्मकूट नामक परम ऋद्धिशाली देव वहां निवास करता है। हे गौतम! वह इसी कारण से पद्मकूट वक्षस्कार पर्वत के नाम से अभिहित हुआ है।
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