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चतुर्थ वक्षस्कार - महाकच्छ विजय
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भावार्थ - हे भगवन्! जंबूद्वीप के अन्तर्गत सुकच्छ नामक विजय कहाँ प्रतिपादित हुआ है?
हे गौतम! शीता महानदी की उत्तर दिशा में नीलवान् वर्षधर पर्वत की दक्षिण दिशा में, ग्राहावती महानदी के पश्चिम में तथा चित्रकूट वक्षस्कार पर्वत की पूर्व दिशा में, जंबूद्वीप में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत सुकच्छ नामक विजय प्रतिपादित हुआ है।
वह उत्तर दक्षिण में कच्छ विजय की तरह विस्तार आदि युक्त है। इतना अन्तर है उसकी राजधानी क्षेमपुरा है। वहाँ सुकच्छ नामक राजा जन्म लेता है। अवशिष्ट समस्त वर्णन कच्छ विजय के सदृश है।
हे भगवन्! जम्बूद्वीप में महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राहावती कुंड कहा गया है?
हे गौतम! सुकच्छ विजय के पूर्व में, महाकच्छ विजय के पश्चिम में, नीलवान् वर्षधर पर्वत के दक्षिण नितंब-ढालू भाग में, जम्बूद्वीप में, महाविदेह क्षेत्र के अन्तर्गत ग्राहावती नामक कुण्ड कहा गया है। इसका समस्त वर्णन रोहितांशा कुण्ड के सदृश है यावत् ग्राहावती द्वीप, भवन तक का वर्णन यहाँ ग्राह्य है। उस ग्राहावती कुण्ड के दक्षिणी तोरण भाग से ग्राहावती संज्ञक महानदी निकलती है। वह सुकच्छ-महाकच्छ विजय को दो भागों में बांटती हुई आगे बढ़ती है और दक्षिण में शीता महानदी में मिलती है। ग्राहावती नदी उद्गम स्थान से लेकर संगम स्थान तक एक समान है। वह एक सौ पच्चीस योजन चौड़ा है तथा अढ़ाई योजन भूमि में गहरा है। वह दोनों पाश्वरों में दो पद्मवर वेदिकाओं एवं दो वनखण्डों द्वारा घिरी हुई है। इसका वर्णन पूर्ववत् योजनीय है।
महाकच्छ विजय
(११३) कहि णं भंते! महाविदेहे वासे महाकच्छे णामं विजए पण्णत्ते?
गोयमा! णीलवंतस्स वासहरपव्वयस्स दाहिणेणं सीयाए महाणईए उत्तरेणं पम्हकूडस्स वक्खारपव्वयस्स पच्चत्थिमेणं गाहावईए महाणईए पुरत्थिमेणं एत्थ णं महाविदेहे वासे महाकच्छे णामं विजए पण्णत्ते, सेसं जहा कच्छविजयस्स (णवरं अरिट्ठा रायहाणी) जाव महाकच्छे इत्थ देवे महिड्डिए.......अट्ठो य भाणियव्वो।
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