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तृतीय वक्षस्कार - आपात किरातों द्वारा भीषण संघर्ष
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देश पर दुःसाहसपूर्वक शीघ्रता से चढ़ा आ रहा है? देवानुप्रियो! हम उसकी सेना को नष्ट कर डालें, जिससे वह हमारे देश को दुस्साहसपूर्वक आक्रांत न कर सके। इस प्रकार आपस में विचार कर वे युद्ध के लिए तैयार हुए, लौहकवच धारण किए, अपने धनुषों पर प्रत्यंचा चढाई, गले में ग्रैवेयक-गर्दन रक्षक उपकरण बांधे, कमर में वीरता सूचक वस्त्र बांधे, शस्त्रास्त्र सज्जित होकर जहाँ राजा भरत की सेना की अग्रिम पंक्ति थी, वहाँ पहुँचे और सैनिकों से भिड़ गए। उन आपात चिलातों ने राजा भरत की सेना के कतिपय विशिष्ट योद्धाओं को मार डाला, सेना को मथ डाला, कईयों को घायल कर गिरा दिया। उनकी विशिष्ट चिह्नित ध्वजाओं को नष्ट कर डाला। इस प्रकार राजा भरत की सेना के अग्रिम टुकड़ी के सैनिक बड़ी कठिनाई से जान बचाकर इधर-उधर भाग छूटे। .
(७३) तए णं से सेणांबलस्स या वेढो जाव भरहस्स रणो अग्गाणीयं आवाडचिलाएहिं हयमहियपवरवीर जाव दिसोदिसिं पडिसेहियं पासइ २ त्ता आसुरुत्ते रुढे चंडिक्किए कुविए मिसिमिसेमाणे कमलामेलं आसरयणं दुरूहइ २ त्ता तए णं तं असीइमंगुलमूसियं णवणउइमंगुलपरिणाहं अट्ठसयमंगुलमाययं बत्तीसमंगुल-मूसियसिरं चउरंगुलकण्णागं वीसइअंगुलबाहागं चउरंगुलजाणूकं सोलसअंगुलजंघागं चउरंगुलमूसियखुरं मुत्तोलीसंवत्तवलियमझं ईसिं अंगुलपणयपटुं संणयपटुं संगयपटुं सुजायपटुं पसत्थपटुं विसिट्ठपर्ट एणीजाणुण्णयवित्थयथद्धपटुं वित्तलयकसणि-वायअं-केल्लणपहारपरिवजियंगं तवणिजथासगाहिलाणं वरकणगसुफुल्लथासग-विचित्तरयणरजुपासं कंचणमणिकणगपयरगणाणाविहघंटियाजालमुत्तिया-जालएहिं परिमंडिएणं पट्टेण सोभमाणेण सोभमाणं कक्केयणइंदणीलमरगय-मसारगल्लमुहमंडणरइयं आविद्धमाणिक्कसुत्तगविभूसियं कणगा-मयपउम-सुकयतिलयं देवमइविगप्पियं सुरवरिंदवाहणजोग्गावयं सुरूवं दूइज्जमाण-पंचचारु-चामरामेलगं धरतं अणब्भवाहं अभेलणयणं कोकासियवहलपत्तलच्छं सयावरण-णवकणग-तविय-तवणिज-तालुजीहासयं सिरिआभिसेयघोणं पोक्खर-पत्तमिव सलिलबिंदुजुयं अचंचलं चंचलसरीरं चोक्खचरग
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