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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र
वह दैवी प्रभाव युक्त था। उस पर उप्त सतरह प्रकार के धान्य एक ही दिन में परिपक्व हो सके, ऐसी विशेषता युक्त था। चक्रवर्ती द्वारा परामृष्ट, संप्रदत्त वह चर्मरत्न बारह योजन से कुछ अधिक विस्तार लिए हुए था। सेनापति सुषेण द्वारा समादिष्ट चर्मरत्न शीघ्र ही विशाल नौका के रूप में परिणत हो गया। सेनापति सुषेण एवं सैन्य-शिविर में स्थित सेना, वाहनों सहित उस चर्मरत्न में आरूढ हुए। निर्मल जल की उछलती हुई तरंगों से आपूर्ण सिंधु महानदी को सेनापति सुषेण ने दल-बल सहित पार किया। सेनापति द्वारा विशाल विजयाभियान (६८)
... तओ महाणईमुत्तरित्तु सिंधुं अप्पडिहयसासणे सेणावई कहिंचि गामागरणगरपव्वयाणि खेडकब्बडमडंबाणि पट्टणाणि सिंहलए बब्बरए य सव्वं च अंगलोयं बलायालोयं च परमरम्मं जवणदीवं च पवरमणिरयणकणगकोसागारसमिद्धं आरबए रोमए य अलसंडविसयवासी य पिक्खुरे कालमुहे जोणए य उत्तरवेयड्डसंसियाओ य मेच्छ जाई बहुप्पगारा दाहिणअवरेण जाव सिंधुसागरंतोत्ति सव्वपवरकच्छं च ओअवेऊण पडिणियत्तो बहुसमरमणिजे य भूमिभागे तस्स कच्छस्स सुहणिसण्णे, ताहे ते जणवयाण णगराण पट्टणाण य जे य तहिं सामिया पभूया आगरवई य मंडलवई य पट्टणवई य सव्वे घेत्तूण पाहुडाइं आभरणाणि य भूसणाणि य रयणाणि य वत्थाणि य महरिहाणि अण्णं च जं वरिष्टुं रायारिहं जं च इच्छियव्वं एयं सेणावइस्स उवणेति मत्थयकयंजलिपुडा, पुणरवि काऊण अंजलिं मत्थयंमि पणया तुन्भे अम्हेऽत्थ सामिया देवयं व सरणागया भो तुन्भं विसयवासिणोत्ति विजयं जंपमाणा सेणावइणा जहारिहं ठविय पूइय विसज्जिया णियत्ता सगाणि णगराणि पट्टणाणि अणुपविट्ठा, ताहे सेणावई सविणओ घेत्तूण पाहुडाइं आभरणाणि भूसणाणि रयणाणि य पुणरवि तं सिंधुणामधेजं उत्तिण्णे अणहसासणबले, तहेव भरहस्स रण्णो णिवेएइ
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