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जम्बूद्वीप प्रज्ञप्ति सूत्र 2-2-12-10-08-08-04-02-14-08-28--*--12-12-12-12-2-28-02-28-02-28-12-08-08-12-28-8-28-02-28-08-08-28-08-12-28-02-*-* होगा। वे लज्जा रहित, भ्रमोत्पादक, कपट, कलह-झगड़े, बंधन-रस्सी आदि द्वारा बांधना, वैरनिरत-शत्रुभाव में संलग्न होंगे। मर्यादाओं के लंघन और उच्छेदन में विशेष रूप से लगे रहने वाले, अकार्य में नित्य उद्यत, गुरुजन की आज्ञा और विनय से रहित ,होंगे। वे असंपूर्ण देह युक्त-विकलांग, बढे हुए नाखून, बाल और दाढी-मूंछ युक्त होंगे। काले-कलूटे, कठोर स्पर्शयुक्त, श्यामवर्ण वाले, गहरी रेखाओं के कारण फूटे हुए से मस्तक से युक्त, धूम जैसे रंग एवं श्वेत केशों वाले, अत्यधिक स्नायु-नाड़ियों से युक्त, देखने में कुत्सित रूप युक्त, देह में पास-पास पड़ी झुर्रियों, सलवटों से वेष्टित-छाए हुए अंगोपांग वाले, वृद्धावस्था परिणत देह के कारण बूढों के समान, दूर-दूर संस्थित दंतपक्ति वाले, घड़े के विकार युक्त मुख के समान मुँह वाले, असमाननेत्र, टेढी नासिका तथा झुर्रियों से घृणास्पद प्रतीत होने वले, भयावह मुखयुक्त, दाद, खाज, फोड़े आदि से विकृत त्वचायुक्त चितकबरे अंगयुक्त, पाँव, खसरे नामक चर्मरोग से पीड़ित, कठोर एवं तीखे नखों से खुजलाने के कारण वर्ण या खरोच सहित देहयुक्त, ऊँटों जैसी चाल और विषम शारीरिक बंधन युक्त, अव्यवस्थित अस्थियुक्त, दूषित भोजन युक्त, दुर्बल, कुत्सित संघनन, परिमाण तथा रूपयुक्त, कुत्सित स्थान, आसन, शय्या एवं भोजन सेवी, अशुचि अथवा अश्रुति-ज्ञान रहित, अनेक रोगों से पीड़ित अंगोपांग युक्त, लड़खड़ाते हुए चलने वाले, उत्साहहीन, सत्वहीन, चेष्ठाहीन, तेजहीन, निरंतर शीतल, गर्म, तेज, कठोर वायु से व्याप्त शरीर युक्त, मैली धूल से भरे हुए शरीर वाले, अत्यंत क्रोध, घमंड, छल-कपट और मोहयुक्त, अशुभ कर्मों के परिणाम स्वरूप दुःखित, धार्मिक श्रद्धा और सम्यक्त्व से भ्रष्ट होंगे।
उनके शरीर का परिमाण या ऊँचाई अधिक से अधिक एक हाथ-चौबीस अंगुल की होगी। उनमें से स्त्रियों की आयु सोलह वर्ष तथा पुरुषों की बीस होगी। अपने पुत्र-पौत्रों से भरे-पूरे परिवार में इनका अत्यधिक मोह रहेगा। ___ वे गंगा महानदी एवं सिन्धु महानदी के तट एवं वैताढ्य पर्वत के आश्रय में, बिलों में रहेंगे। वे बिलवासी मनुष्य संख्या में बहत्तर होंगे।
हे भगवन्! वे मनुष्य कैसा आहार करेंगे?
हे गौतम! उस समय गंगा महानदी तथा सिंधु महानदी - ये दो नदियाँ रहेंगी। उनका विस्तार केवल उस पथ जितना होगा, जिस पर रथ चल सके। जल की गहराई रथ के चक्र के छेद जितनी होगी। उनमें अनेक मछलियाँ तथा कछुए रहेंगे। उनमें सजातीय अप्काय के जीव
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