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वर्ग ३ अध्ययन ८ - भगवान् का धर्मोपदेश ******************************************************************* ___ कठिन शब्दार्थ - कोडुंबियपुरिसे - कौटुम्बिक पुरुषों को, सद्दावेइ - बुलाते हैं, जाइत्ता - याचना कर, गिण्हह - ग्रहण करो, कण्णंतेउरंसि - कन्याओं के अंतःपुर में, पक्खिवह - पहुंचा दो (रख दो), पच्चप्पिणंति - आज्ञा प्रत्यर्पित करते हैं (लौटाते हैं) अर्थात् कार्य पूरा हो जाने की सूचना देते हैं।
भावार्थ - सोमा को देख कर कृष्ण-वासुदेव ने अपने सेवकों को बुला कर इस प्रकार आज्ञा दी कि - 'हे देवानुप्रिय! तुम सोमिल ब्राह्मण के पास जाओ और उससे इस कन्या की याचना करो। तत्पश्चात् इस सोमा कन्या को कन्याओं के अन्तःपुर में पहुँचा दो। यह गजसुकुमाल की भार्या होगी।' इस आज्ञा को पा कर वे राज-सेवक सोमिल ब्राह्मण के पास गये और उससे कन्या की याचना की। राज-पुरुषों की बात सुन कर सोमिल ब्राह्मण अत्यन्त प्रसन्न हुआ और अपनी कन्या को ले जाने की स्वीकृति दे दी। राज-पुरुषों ने सोमा कन्या को ले जा कर कन्याओं के अन्तःपुर में रख दी और कृष्ण-वासुदेव को इस बात की सूचना दे दी।
- विवेचन - शंका - जब श्रीकृष्ण जानते थे कि गजसुकुमाल दीक्षा लेंगे, तो उन्होंने सोमा कन्या की याचना क्यों करवाई?
समाधान - देव ने संयमी बनने की सूचना तो की थी, पर स्पष्टतया यह नहीं बताया था कि वे कुंवारे ही संयम धारण करेंगे या विवाहित होकर? कन्या की याचना तो बड़े भाई होने के लौकिक उत्तरदायित्व के नाते की थी।
. भगवान् का धर्मोपदेश ___कण्हे वासुदेवे बारवईए णयरीए मज्झमझेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव सहस्संबवणे उजाणे जाव पज्जुवासइ। तए णं अरहा अरिट्ठणेमि कण्हस्स वासुदेवस्स गयसुकुमालस्स कुमारस्स तीसे य धम्मकहा। कण्हे पडिगए। ____ भावार्थ - तत्पश्चात् कृष्ण-वासुदेव द्वारिका नगरी के मध्य में होते हुए सहस्राम्र वन उद्यान में पहुँचे, भगवान् अरिष्टनेमि को वंदन-नमस्कार किया और भगवान् की पर्युपासना करने लगे। भगवान् ने कृष्ण-वासुदेव और गजसुकुमाल कुमार तथा विशाल परिषद् को धर्मोपदेश दिया। धर्मोपदेश सुन कर कृष्ण-वासुदेव अपने भवन की ओर चले गये।
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