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________________ ३८ अन्तकृतदशा सूत्र ***的来来来来来********本来来来*******来来来来来******************** जाता है तो तप, संयम उसके लिए जरूरी है। वे छहों अनगार भगवान् की आज्ञा पाकर बेले बेले का तप करते हुए कर्मों का क्षय करने लगे। भिक्षा हेतु भ्रमण (१८) तए णं ते छ अणगारा अण्णया कयाई छट्टक्खमण पारणगंसि पढमाए पोरिसिए सज्झायं करेंति जहा गोयमसामी जाव इच्छामो णं भंते! छट्ठक्खमणस्स पारणए तुन्भेहिं अन्भणुण्णाया समाणा तिहिं संघाडएहिं बारवईए णयरीए जाव अडित्तए। अहासुहं देवाणुप्पिया! ___ कठिन शब्दार्थ - छटुक्खमण पारणगंसि - बेले के पारणे के दिन, पढ़माए - प्रथम, पोरिसिए - पोरिसी में, सज्झायं - स्वाध्याय, तिहिं - तीन, संघाडएहिं - संघाडों में, अडित्तए - भ्रमण करें। __ भावार्थ - तदनन्तर किसी समय बेले के पारणे के दिन उन छहों अनगारों ने प्रथम प्रहर में स्वाध्याय किया, दूसरे प्रहर में ध्यान किया और तीसरे प्रहर में भगवान् के समीप आ कर इस प्रकार बोले - 'हे भगवन्! आपकी आज्ञा हो, तो आज बेले के पारणे में हम छहों मुनि, तीन संघाड़ों में विभक्त हो कर मुनियों के कल्पानुसार सामुदायिक भिक्षा के लिए द्वारिका नगरी में जावें।' भगवान् ने कहा - 'हे देवानुप्रियो! जैसा तुम्हें सुख हो, वैसा करो।' विवेचन - 'जहा गोयमसामी जाव इच्छामो' - भगवती सूत्र शतक २ उद्देशक ५ में वर्णित गौतमस्वामी की तरह बेले के पारणे के दिन उन छहों सहोदर मुनियों ने प्रथम प्रहर में शास्त्र स्वाध्याय, दूसरे प्रहर में ध्यान (अर्थ चिंतन) तथा तीसरे प्रहर में मुखवस्त्रिका, वस्त्रों और पात्रों की प्रतिलेखना की। तत्पश्चात् पात्रों को लेकर भगवान् के चरणों में विधिवत् वन्दन नमस्कार करके नगरी में भिक्षार्थ जाने की आज्ञा , मांगी। आज्ञा मिल जाने पर अविक्षिप्त, अत्वरित, चंचलता रहित तथा ईर्या शोधन पूर्वक शांत चित्त से भिक्षा हेतु भ्रमण करने लगे। तएणं ते छ अणगारा अरहया अरिट्ठणेमिणा अब्भणुण्णाया समाणा अरहं अरिट्ठणेमि वंदंति णमंसंति, वंदित्ता णमंसित्ता अरहओ अरिट्ठणेमिस्स अंतियाओ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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