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________________ २२२ ********** अन्तकृतदशा सूत्र **akkakestakakakakakak******************************************** परिशिष्ट (१) . १. चंपा - वर्तमान में भागलपुर से तीन मील दूर पश्चिम में आये हुए चम्पानाला नामक स्थान को पं. श्री कल्याणविजयजी ने तत्कालीन चंपा नगरी निरूपित किया है । (पृ० ३) २. महया हिमवंत वण्णओ - जिस प्रकार हिमवंत पर्वत क्षेत्र-मर्यादा करता है, वैसे ही मर्यादा के कर्ता एवं पालन करने-करवाने वाले योग्य राजा के लिए हिमवंत पर्वत की उपमा दी जाती है। (पृ. ४) ३. बारवई णयरी - सौराष्ट्र देश की राजधानी, जिसे द्वारबती, द्वारावती, द्वारामति, द्वारिका आदि नामों से जाना जाता है*। (पृ० ८) ४. सामाइयमाइयाई एक्कारस अंगाई - आवश्यक सूत्र का प्रथम आवश्यक सामायिक आदि छहों आवश्यकों को जानकर ग्यारह अंगों का ज्ञान किया - इस अर्थ में यह पद आया। (पृ०१५) ____५. काकंदी णयरी - गोरखपुर से दक्षिण पूर्व में तीस मील पर तथा नूनखार स्टेशन से दो मील दूर जिस स्थान को किष्किंधा खुखुंदोजी नामक तीर्थ कहा जाता है, वह प्राचीन काकंदी कही जाती है । (पृ० १५४) ६. सागेए णयरे - साकेत नगर - फैजाबाद से पूर्वोत्तर छह मील पर सरयू नदी के दक्षिण तट पर अवस्थित अयोध्या के समीप ही प्राचीन साकेत नगर बताया जाता है । (पृ० १५४) ____७. वाणियगामे - वाणिज्यग्राम - आज कल बसाड़पट्टी के पास वाला बजिया ग्राम ही प्राचीन वाणिज्यग्राम हो सकता है। (पृ० १५६) ८. सावत्थी णयरी - श्रावस्ती नगर - गौड़ा जिले में अकौना से पूर्व पांच मील दूर, बलरामपुर से पश्चिम में बारह मील, रापती नदी के दक्षिण तट पर सहेठमहेठ नाम से प्रख्यात स्थान को प्राचीन श्रावस्ती माना गया है । (पृ० १५७) . पोलासपुर - अतिमुक्तक अनगार की जन्मभूमि उत्तर भारत की समृद्ध नगरी बताई गई है, पर वर्तमान परिपेक्ष्य में उसका पता नहीं है । (पृ० १५६) १०. वाणारसिए - वाणारसी नगरी - काशी देश की तत्कालीन राजधानी, आज का प्रसिद्ध बनारस नगर । (पृ० १७१) * देखिए पं. श्री कल्याणविजयजी द्वारा लिखित 'श्रमण भगवान् महावीर' ग्रन्थ का 'विहार स्थल नाम कोष।' Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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