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वर्ग ८ अध्ययन १० - उपसंहार
२२१ 來來來來來來來來來來來來************来来来来来来来来来来來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來來
एवं खलु जंबू! समणेणं भगवया महावीरेणं आइगरेणं जाव संपत्तेणं अट्ठमस्स अंगस्स अंतगडदसाणं अयमढे पण्णत्ते त्तिबेमि। . भावार्थ - हे जम्बू! अपने शासन की अपेक्षा से धर्म की आदि करने वाले श्रमण-भगवान् महावीर स्वामी जो मोक्ष प्राप्त हैं, उन्होंने आठवें अंग अंतगडदशा सूत्र का यह भाव प्ररूपित किया है। भगवान् से जैसा मैंने सुना, उसी प्रकार तुम्हें कहा है।
|| आठवें वर्ग का दशवाँ अध्ययन समाप्त॥
. (१००) . अंतगडदसाणं अंगस्स एगो सुयक्खंधो अट्ठ वग्गा अट्ठसु चेव दिवसेसु उद्दिसिज्जंति तत्थ पढमबितिवग्गे दस-दस (अट्ट?) उद्देसगा, तइयवग्गे तेरस उद्देसगा, चउत्थपंचमवग्गे दस-दस उद्देसगा, छट्ठवग्गे सोलस उद्देसगा, सत्तमवग्गे तेरस उद्देसगा, अट्ठमवग्गे दस उद्देसगा। सेसं जहा णायाधम्मकहाणं॥
कठिन शब्दार्थ - सुयक्खंधो - श्रुतस्कंध, वग्गा - वर्ग, दिवसेसु - दिनों में, उद्दिसिज्जंति - वाचन होता है, पढमबितियवग्गे - प्रथम और दूसरे वर्ग के, उद्देसगा - उद्देशक, चउत्थपंचमवग्गे - चौथे और पांचवें वर्ग के।
भावार्थ - इस अन्तगडदशा सूत्र में एक श्रुतस्कन्ध है और आठ वर्ग हैं। इसको आठ दिनों में बांचा जाता है। इसके प्रथम और द्वितीय वर्ग में दस-दस (दूसरे में आठ) उद्देशक (अध्ययन) है। तीसरे वर्ग में तेरह, चतुर्थ और पाँचवें वर्ग में दस-दस अध्ययन हैं। छठे वर्ग में सोलह, सातवें वर्ग में तेरह और आठवें वर्ग में दस अध्ययन हैं।
विवेचन - उपलब्ध अन्तकृतदशा के दूसरे वर्ग में आठ उद्देशक ही हैं, लिपि प्रमाद से दूसरे वर्ग में दस उद्देशक बता दिये गये हों अथवा दस उद्देशकात्मक द्वितीय वर्ग वाला अन्य वाचनीय अन्तकृत रहा हो, यह निर्णय ज्ञानीगम्य है। ...
॥ अन्तकृतदशा सूत्र समाप्त।
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