________________
२०४
अन्तकृतदशा सूत्र *********************本来来来来来中医******************** दस-दस पाणगस्स। एवं खलु एयं दसदसमियं भिक्खुपडिमं एक्केणं राइंदियसएणं अद्धछट्टेहिं भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहेइ।
कठिन शब्दार्थ - दसदसमियं - दशदशमिका।
भावार्थ - इसके बाद सुकृष्णा आर्या ने दशदशमिका भिक्षु-प्रतिमा अंगीकार की। इसके प्रथम दशक में एक दत्ति भोजन और एक दत्ति पानी की ग्रहण की। इसी प्रकार क्रमशः दसवें दशक में दस दत्ति भोजन और दस दत्ति पानी की ग्रहण की। यह दशदशमिका भिक्षु-प्रतिमा एक सौ दिन-रात में पूर्ण होती है। इसमें आहार-पानी की सम्मिलित रूप से पाँच सौ पचास दत्तियाँ होती हैं। इस प्रकार इन भिक्षु-प्रतिमाओं का सूत्रोक्त विधि से आराधन किया। . . .
दशदशमिका भिक्षुप्रतिमा ।
| २ | २ | २ | २ | २ | २ | २ | २ | २ | २ | २०
نے اسے اس اعه 1
ماسا سه | ه
|
|
४|
|
४|१
xw|9|
G|
७
| १० १०
६ | ६ | | | | | १० १० १० १० १० १० १० १० १०० (१०० दिवस * ५५० दत्तियाँ)
विवेचन - इस प्रकार १०० दिन में यह प्रतिमा पूरी होती है। इसमें ५५० दत्तियां आहार की व ५५० दत्तियां पानी की होती हैं। दत्तियाँ निकालने की विधि इस प्रकार है - जो प्रतिमा है
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org