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________________ . **** σ Jain Education International णवणवमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । पढमे णवए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणगस्स, जाव णवमे णवए णव णव दत्तिं भोयणस्स पडिगाहेड़ णव - णव पाणगस्स । एवं खलु णवणवमियं भिक्खुपडिमं एकासीइं राइदिएहिं चउहिं पंचोत्तरेहिं, भिक्खासएहिं अहासुत्तं जाव आराहित्ता । कठिन शब्दार्थ - णवणवमियं - नवनवमिका, णव णव - नौ-नौ । भावार्थ - इसके बाद आर्य चन्दनबाला की आज्ञा प्राप्त कर उसने “ नवनवमिका भिक्षुप्रतिमा" अंगीकार की। प्रथम नवक में एक दत्ति आहार और एक दत्ति पानी की ग्रहण की। इस क्रम से नौवें नवक में नौ दत्ति आहार और नौ दत्ति पानी की ग्रहण की। यह नवनवमिका भिक्षुप्रतिमा इक्यासी दिन-रात में पूरी हुई। इसमें आहार- पानी की चार सौ पांच दत्तियाँ हुई। इस नवनवमिका भिक्षु-प्रतिमा का सूत्रोक्त विधि अनुसार आराधन किया । soc. ५ २ २ २ २ ३ ४ ४ ४ ७ 152 ८ ह ६ ६ वर्ग अध्ययन ५ m 20. ४ 20 or w 9 is w mr 2০ r w 9 is w 9 sw १ १ १ १ १ १ .५ ३ ३ 'नवनवमिका भिक्षुप्रतिमा ७ ५ ६ ७ ८ ३ ४ ५ r mr ১০ নr w 9 s - ३ २ २ ५ ७ ह mr 2০ ४ w 9 5 w mr ১0 r w 9 is w o r mr ১0 ४ w 9 is w 20 or ws 2 v सुकृष्णा आर्या ४ ७ ८ २ ३ ४ ५ ७ ८१ दिवस ४०५ दत्तियाँ १ २ For Personal & Private Use Only ३ ४ ६ ७ ८ १ २ ३ ४ ५ ६ ७ ह ६ 9= २७ ३६ ४५ ५४ ६३ ७२ २०३ ****** = १ दसदसमियं भिक्खुपडिमं उवसंपज्जित्ताणं विहरइ । पढमे दसए एक्केक्कं भोयणस्स दत्तिं पडिगाहेइ एक्केक्कं पाणगस्स जाव दसमे दसए दस-दस भोयणस्स, www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
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