SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 147
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १२२ अन्तकृतदशा सूत्र ******eakerkakakakakak********kakkakakakakak******edeekekakakakkakker********************** अपनी इच्छानुसार कार्य करने में स्वतंत्र हैं। राज्य की ओर से उन्हें कोई दण्ड नहीं दिया जायगा।' अतः वह मित्र-मंडली मनमाने कार्य करने में स्वच्छन्द थी। . पति-पत्नी द्वारा पुष्प-चयन तए णं रायगिहे णयरे अण्णया कयाइं पमोए घुढे यावि होत्था। तए णं से अजुणए मालागारे कल्लं पभूयतरएहिं पुप्फेहिं कजमिति कटु पच्चूसकालसमयंसि बंधुमईए भारियाए सद्धिं पच्छिपिडगाई गिण्हइ, गिण्हित्ता सयाओ गिहाओ पडिणिक्खमइ, पडिणिक्खमित्ता रायगिहं णयरं मज्झं मज्झेणं णिग्गच्छइ, णिग्गच्छित्ता जेणेव पुप्फारामे तेणेव उवागच्छइ, उवागच्छित्ता बंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करे। ____ कठिन शब्दार्थ - पमोए घुट्टे - उत्सव की घोषणा, पभूयतरएहिं - प्रभूततर - ज्यादा, पच्चूसकालसमयंसि - प्रातःकाल - सूर्योदय के पूर्व समय में, पुप्फुच्चयं करेइ - फूल चुने। भावार्थ - एक दिन राजगृह नगर में एक उत्सव की घोषणा हुई। अर्जुन माली ने विचार किया कि कल उत्सव में अधिक फूलों की आवश्यकता होगी। इसलिए वह प्रातः काल उठा और बांस की चंगेरी (डलिया) ले कर अपनी पत्नी बन्धुमती के साथ घर से निकला तथा नगर में होता हुआ बगीचे में पहुंचा और अपनी पत्नी के साथ फूलों को चुन कर एकत्रित करने लगा। ललित गोष्ठी का दुष्ट चिंतन . (६५) तए णं तीसे ललियाए गोट्ठिए छ गोहिल्ला पुरिसा जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागया अभिरममाणा चिटुंति। तएणं से अजुणए मालागारे बंधुमईए भारियाए सद्धिं पुप्फुच्चयं करेइ, करित्ता अग्गाई वराई पुप्फाई गहाय जेणेव मोग्गरपाणिस्स जक्खस्स जक्खाययणे तेणेव उवागच्छइ। कठिन शब्दार्थ - उवागया - आकर, अभिरममाणा - क्रीड़ा करते हुए। भावार्थ - उस समय पूर्वोक्त ललित-गोष्ठी के छह गोष्ठिक पुरुष, मुद्गरपाणि यक्ष के Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004178
Book TitleAntkruddasha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages254
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_antkrutdasha
File Size48 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy