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________________ बृहत्कल्प सूत्र - पंचम उद्देशक | १२६ ★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★★ भावार्थ - ३४. साध्वियों के लिए आकुंचनपट्टक धारण करना और उपयोग में लेना नहीं कल्पता है। . ३५. साधुओं के लिए आकुंचनपट्टक रखना और उसका उपयोग करना कल्पता है। विवेचन - वृद्धावस्था, रुग्णावस्था आदि में सहारे के बिना सुविधापूर्वक बैठ पाना कठिन होता है। अत एव उनके लिए आकुंचनपट्टक, जिसे पर्यस्तिकापट्टक भी कहा जाता है, धारण करने का विधान किया गया है। .. जिस वस्त्र को पीठ की तरफ से लेकर पक्षपिण्ड की तरह आगे घुटनों पर बांध दिया . जाता है उसे आकुंचनपट्टक कहते हैं। इसके द्वारा बिना सहारे के स्थान पर भी सहारा लेकर बैठने के समान बैठा जा सकता है। . सूत्र में साध्वियों के लिए इसका निषेध किया गया है क्योंकि आकुंचनपट्टक में स्थित होना सामान्यतः गर्वोद्धतता का सूचक है। साध्वी का वैसी स्थिति में होना लोकनिन्दा का हेतु हो सकता है। किन्तु भाष्यकार ने ऐसा उल्लेख किया है - यदि वृद्धत्व या रुग्णत्व के कारण साध्वी द्वारा प्रयत्न पूर्वक भी सीधा बैठना संभव न हो वहाँ इसका उपयोग किया जा सकता है किन्तु साध्वी के ऊपर कपड़ा डालने का विधान किया गया है। आकुंचनपट्टक का परिमाप बतलाते हुए कहा गया है कि वह सूती वस्त्र से बना हुआ एवं चार अंगुल चौड़ा तथा शरीर प्रमाण जितना लम्बा होता है। ___यहाँ पर ज्ञातव्य है कि इस पट्ट का प्रयोग तभी किया जा सकता है जब उदइ (दीमक) आदि सूक्ष्म जीवों की दीवार पर उपस्थिति के कारण दीवाल का सहारा लेना संभव न हो, स्वीकार्य न हो। यह अपवाद मार्गानुगत विधान है। सहारे के साथ बैठने का विधि-निषेध णो कप्पइ णिग्गंथीणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा ॥३६॥ कप्पइ णिग्गंथाणं सावस्सयंसि आसणंसि आसइत्तए वा तुयट्टित्तए वा॥३७॥ कठिन शब्दार्थ- सावस्सयंसि - आश्रय (अवलम्बन) सहित। . भावार्थ - ३६. साध्वियों को आश्रय या सहारा लेकर बैठना या करवट लेना (सोना) नहीं कल्पता है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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