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________________ बृहत्कल्प सूत्र - पंचम उद्देशक १२४ ************************************* **************** *** उपाश्रय के भीतर, वस्त्रावृत होकर, अपनी भुजाएँ नीचे लटकाकर, दोनों पैरों को समतल करइस स्थिति में खड़े होकर आतापना लेना कल्पता है। . २३. साध्वी को खड़े होकर कायोत्सर्ग करने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता। २४. साध्वी को (एकरात्रिक आदि) प्रतिमाओं के आसनों में स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। . २५. साध्वी के निषद्याओं - बैठकर किये जाने वाले आसन विशेषों में स्थित होना नहीं कल्पता। २६. साध्वी को उत्कुटुकासन में स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। २७. निर्ग्रन्थिनी को वीरासन में स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। २८. निर्ग्रन्थिनी को दण्डासन में स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। २९. निर्ग्रन्थिनी को लकुटासन में स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। ३०. निर्ग्रन्थिनी को अधोमुखी (अवाङ् मुखी). स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। ३१. साध्वी को मुंह ऊँचा कर सोने के अभिग्रह में स्थित होना नहीं कल्पता। ३२. साध्वी को आनंकुब्जासन में स्थित होने का अभिग्रह करना नहीं कल्पता है। ३३. साध्वी को एक पार्श्वस्थ होकर सोने का अभिग्रह कर स्थित होना नहीं कल्पता है। विवेचन - उपर्युक्त सूत्र क्रमांक २३ से ३३ तक जिन आसनों का नाम बताया है उनके अर्थ इस प्रकार हैं - स्थानायतिक . खड़े होकर कायोत्सर्ग करना। प्रतिमास्थायी - मासिकी आदि प्रतिमाओं में जिन आसनों में रहते हैं, उन आसनों में रहना। निषद्यासन - पालथी लगाकर पर्यंकासन से सुखपूर्वक बैठना। . उत्कुटुकासन - दोनों पांवों को समतल रखकर उन पर पूरे शरीर को रखते हुए बैठना।। वीरासन - कुर्सी या सिंहासन आदि पर बैठे हुए के नीचे से कुर्सी आदि निकाल देने पर वैसी आकृति से बैठना। दण्डासन - मस्तक से पांव तक पूरा शरीर दण्ड के समान सीधा लम्बा रहना, हाथ पांव अंतर रहित रहना, मुख आकाश की तरफ रहना। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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