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________________ ११३ Adddddddddddddddddddddddkakkkkkkkkkkkkkk दर्शन, वंदन हेतु श्रेणिक का गमन वहाँ आपस में इस प्रकार वार्तालाप किया - देवानुप्रियो! राजा श्रेणिक जिनके दर्शन की आकांक्षा रखता है, जिनके दर्शन उसे प्रिय है, जिनके दर्शनों की वह अभ्यर्थना, अभिलाषा करता है, जिनके नाम, गोत्र श्रवण कर ही उसका हृदय यावत् परितुष्ट है, वे आदिकर, तीर्थंकर यावत् सर्वज्ञ, सर्वदर्शी श्रमण भगवान् महावीर स्वामी अनुक्रम से ग्रामानुग्राम सुखपूर्वक विचरण करते हुए यहाँ आए हैं, समवसृत हुए हैं, पधारे हैं यावत् संयम एवं तप से आत्मानुभावित होते हुए यहाँ सम्यक् विराजमान हैं। इसलिए देवानुप्रियो! हम चलें, श्रेणिक राजा को यह समाचार सुनायें तथा उन्हें कहें कि आपके लिए हम प्रीतिकर संवाद लाए हैं, इस प्रकार एक दूसरे के वचन सुने तथा वहाँ राजगृह नगर के बीचोंबीच होते हुए, जहाँ राजा का प्रासाद था, राजा श्रेणिक था, वहाँ आए। हाथ जोड़कर यावत् जय-विजयपूर्वक राजा श्रेणिक को वर्धापित करते हुए बोले - स्वामिन्! जिनके दर्शनों की आपको उत्कंठा है यावत् वे श्रमण भगवान् महावीर स्वामी गुणशील चैत्य में यावत् विराजित हैं। हे देवानुप्रिय! आपकी सेवामें यह प्रिय संवाद हम निवेदित कर रहे हैं, आपके लिए यह आनंदप्रद हो। दर्शन, वंदन हेतु श्रेणिक का गमन ...तए णं से सेणिए राया तेसिं पुरिसाणं अंतिए एयमटुं सोच्चा णिसम्म हट्टतुट्ठ जाव हियए सीहासणाओ अब्भुढेइ अब्भुट्टित्ता जहा कोणिओ जाव वंदइ णमंसइ वंदित्ता णमंसित्ता ते पुरिने सक्कारेइ सम्माणेइ सक्कारित्ता सम्माणित्ता विउलं जीवियारिहं पीइदाणं दलयइ दलइत्ता पडिविसज्जेइ पडिविसजित्ता णगरगुत्तियं सहावेइ सहावेत्ता एवं वयासी-खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! रायगिहं णगरं सब्भितरबाहिरयं आसियसंमजिओवलितं जाव करित्ता पच्चप्पिणंति॥५॥ तए णं से सेणिए राया बलवाउयं सहावेइ सहावेत्ता एवं वयासी - खिप्पामेव भो देवाणुप्पिया ! हयगयरहजोहकलियं चाउरंगिणिं सेणं सण्णाहेह जाव से वि पच्चप्पिणइ॥६॥ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004177
Book TitleTrini Ched Sutrani
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages538
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_bruhatkalpa, agam_vyavahara, & agam_dashashrutaskandh
File Size11 MB
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