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आवश्यक सूत्र - प्रथम अध्ययन
ज्ञानातिचार सूत्र कायोत्सर्ग का अवलंबन ले कर उसमें अतिचारों का विशेष रूप से चिंतन किया जाता है अतः ज्ञान के अतिचारों का पाठ इस प्रकार है -
आगमे तिविहे पण्णत्ते, तं जहा-सुत्तागमे, अत्थागमे, तदुभयागमे, इन तीन प्रकार के आगम रूप ज्ञान में जो कोई अतिचार लगा हो, तो आलोऊ जं-वाइद्धं, वच्चामेलियं, हीणक्खरं, अच्चक्खरं, पयहीणं, विणयहीणं, जोगहीणं, घोसहीणं, सुदिण्णं, दुझुपडिच्छियं, अकाले कओ सज्झाओ, काले न कओ सज्झाओ, असज्झाइए सज्झाइवं, सज्झाइए न सज्झाइयं भणतां, गुणतां, विचारतां, ज्ञान और ज्ञानवंत पुरुषों की अविनय आशातना की हो, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं॥
कठिन शब्दार्थ - आगमे - आगम, तिविहे - तीन प्रकार का, पण्णत्ते - कहा गया है, तं जहा - वह इस प्रकार है, सुत्तागमे - सूत्रागम, अत्यागमे - अर्थागम, तदुभयोगमे :सूत्र और अर्थ रूप आगम, आलोऊ - आलोचना करता हूँ, वाइद्धं - सूत्र आगे पीछे बोलना (अक्षरों को उलट-पुलट कर पढ़ना), वच्चामेलियं - भिन्न-भिन्न स्थानों पर आए हुए समानार्थक पदों को एक साथ मिला कर पढ़ना, हीणक्खरं - अक्षर कम बोले हो, अच्चक्खरं - अधिक अक्षर बोले हों, पयहीणं - पदहीन पढ़ा हो - कोई पद छोड़ दिया हो, विणयहीणं - विनय रहित पढा हो, जोगहीणं - योगहीन - मन, वचन, काया की स्थिरता न रख कर पढा हों, घोसहीणं - शुद्ध उच्चारण किये बिना पढ़ा हो, सुढदिण्णं - अविनीत को सूत्र पढ़ाया हो, शिष्य में शास्त्र ग्रहण करने की जितनी शक्ति है उससे अधिक पढाना, दुटुपडिच्छियं - आगम को बुरे भाव से ग्रहण करना, अकाले - अकाल में, कओकिया हो, सज्झाओ - स्वाध्याय, काले - काल में, न - नहीं, असज्झाइए - अस्वाध्याय, सज्झाइयं - स्वाध्याय।
भावार्थ - सूत्र (मूल पाठ रूप), अर्थ रूप और सूत्र व अर्थ रूप, इस तरह तीन प्रकार के आगम-ज्ञान के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो मैं उसकी आलोचना करता हूँ - यदि सूत्र के अक्षरों को उलट-पुलट कर पढ़ा हो, अन्यान्य स्थानों पर आये हुए.समानार्थक पदों को एक साथ मिला कर पढ़ा हो, हीनाधिक अक्षर पढ़ा हो, पद-हीन पढ़ा हो, विनय
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