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सामायिक - प्रतिक्रमण सूत्र
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कठिन शब्दार्थ - इच्छामि - इच्छा करता हूँ, ठामि - करता हूँ, काउस्सग्गं - कायोत्सर्ग, जो मे - जो मैंने, देवसिओ - दिवस संबंधी, अइयारो - अतिचार, कओ - किया हो, काइओ - कायिक, वाइओ - वाचिक, माणसिओ - मानसिक, उस्सुत्तो - उत्सूत्र - सूत्र विपरीत कथन किया हो, उम्मग्गो - उन्मार्ग - जैन मार्ग से विरुद्ध मार्ग ग्रहण किया हो, अकप्पो - अकल्प्य, अकरणिज्जो - अकरणीय, दुज्झाओ - दुर्ध्यान - दुष्टध्यान ध्याया हो, दुव्विचिंतिओ - दुर्विचिंतित - अशुभ चिंतन किया हो, अणायारो - नहीं आचरने योग्य, अणिच्छियव्वो - अनिच्छनीय की इच्छा, असमणपाउग्गो - अश्रमण प्रायोग्यश्रमण धर्म से विरुद्ध कार्य किया हो, णाणे - ज्ञान में, तह - तथा, दंसणे - दर्शन, चरित्ते - चरित्र में, सुए - श्रुत में, सामाइए - सामायिक में, तिण्हं गुत्तीणं - तीन गुप्ति, चउण्हं कसायाणं - चार कषायों की, पंचण्हं महव्वयाणं - पांच महाव्रतों की, छण्हं जीवणिकायाणं - छह जीवनिकायों की, सत्तण्हं पिंडेसणाणं - सात पिण्डैषणा, अट्ठण्हं पवयणमायाणं - आठ प्रवचन माता, णवण्हं बंभचेर गुत्तीणं - नौ ब्रह्मचर्य गुप्ति, दसविहे समणधम्मे - दशविध श्रमण धर्म, समणाणं - श्रमण, जोगाणं - योगों की, जं - जो, खंडियं - खण्डना की हो, विराहियं - विराधना की हो, तस्स - उसका, मिच्छा - मिथ्या, मि - मेरा, दुक्कडं - पाप।
भावार्थ - मैं कायोत्सर्ग करने की इच्छा करता हूँ। मैंने दिवस संबंधी जो अतिचार किया हो। काया संबंधी-अविनय आदि किया हो। वचन संबंधी अशुभ वचन, असत्य, अपशब्द आदि बोला हो। मन संबंधी - अशुभ मन प्रवर्ताया हो, सूत्र से विरुद्ध प्ररूपणा की हो, उन्मार्ग (जैन मार्ग का त्याग कर-गलत मार्ग-अन्य मार्ग) का ग्रहण किया हो, अकल्पनीय कार्य किया हो, नहीं करने योग्य कार्य किया हो, आर्त्तध्यान रौद्रध्यान ध्याया हो, अशुभ दुष्ट चिंतन किया हो, आचरण नहीं करने योग्य कार्य का आचरण किया हो, अनिच्छनीय - इच्छा नहीं करने योग्य कार्य की इच्छा की हो, श्रमण धर्म (साधु वृत्ति) के विपरीत कार्य किया हो, ज्ञान, दर्शन और चारित्र के विषय में, श्रुत, सामायिक, तीन गुप्ति के विषय में अतिचार का सेवन किया हो, चार कषाय का उदय हुआ हो। पांच महाव्रतों की, छह जीवनिकायों की रक्षा, सात पिण्डैषणा, आठ प्रवचन माता, नौ ब्रह्मचर्य गुप्ति, दशविध श्रमण धर्म में श्रद्धा प्ररूपणा और स्पर्शना रूप श्रमण योगों में से जिस किसी की देश से खण्डना हुई हो या अधिक मात्रा में भंग किया हो तो वह सब पाप मेरे लिए निष्फल हो।
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