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आवश्यक सूत्र - परिशिष्ट द्वितीय
आदि के लेप करने का, तलवार आदि शस्त्र और हल मूसल आदि औजारों से होने वाले सभी सावद्य व्यापार का मैं त्याग करता हूँ यावत् एक दिन रात तक पौषध व्रत का पालन करता हुआ मैं उन पाप क्रियाओं का मन, वचन, काया से सेवन नहीं करूँगा और न दूसरों से कराऊँगा। ऐसी मेरी श्रद्धा और प्ररूपणा तो है किन्तु पौषध का समय आने पर जब उसका पालन करूँगा तब शुद्ध होऊँगा । यदि मैंने पौषध में शय्या संस्तारक का प्रतिलेखन प्रमार्जन न किया हो या अच्छी तरह न किया हो, मल मूत्र त्याग करने की भूमि का प्रतिलेखन प्रमार्जन न किया हो या अच्छी तरह नहीं किया हो तथा पौषध का सम्यक् प्रकार से पालन नहीं किया हो तो मैं उसकी आलोचना करता हूँ और चाहता हूँ कि मेरे वे सब पाप निष्फल हो।
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विवेचन - पौषध के दो प्रकार हैं- १. प्रतिपूर्ण - जिसमें चारों आहार छोड़े जायें और उपवास सहित अष्टप्रहर का हो २. देश पौषध - जिसमें पानी या चारों आहार किये जायें वह देश पौषध है। चार प्रहर आदि कोई भी काल मर्यादा । जिसमें मात्र पानी लिया जाता है उसे तिविहार पौषध कहते हैं । जिसमें चारों आहार किये जाते हैं, ऐसे पौषध को दया कहते हैं।
भगवती सूत्र शतक १२ उद्देशक १ में शंख श्रावक ने आठ प्रहर से कम का उपवास युक्त पौषध किया था तथा पुष्कली आदि श्रावकों ने खाते पीते पौषध किया था। जिसको अभी 'दया' कहते हैं ।
सामायिक केवल एक मुहूर्त्त की होती है, जबकि पौषध कम से कम चार प्रहर का होता है, सामायिक में निद्रा और आहारादि का त्याग करना ही होता है, जब कि देश पौषध चार या अधिक प्रहर का होने से उसमें निद्रा भी ली जा सकती है और आहार भी किया जा सकता है। पौषध व्रत सामायिक का विशिष्ट बड़ा रूप है।
सामायिक अल्प काल की होती है अतः इन छूटों के बिना हो सकती है, यदि इनकी छूट सामायिक में दी जाय तो सामायिक में ज्ञान, दर्शन, चारित्र की आराधना नहीं हो सकेगी। पौषध विशेष काल का होने के कारण बिना छूट उसका पालन कठिन होता है।
शंका- पहले सामायिक ली हुई है और पौषध करना चाहे तो सामायिक में पौषध ले सकता है या नहीं ?
समाधान - हाँ, ले सकता है क्योंकि पाल कर लेने से बीच में अव्रत लगता है ।
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