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श्रावक आवश्यक सूत्र - उपभोग परिभोग परिमाण व्रत
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७. उपभोग परिभोग परिमाण व्रत सातवां व्रत - उपभोगपरिभोगविहिं पच्चक्खायमाणे। १. उल्लणियाविहि, २ दंतणविहि, ३. फलविहि, ४, अब्भंगणविहि, ५. उवट्टणविहि, ६. मजणविहि, ७. वत्थविहि, ८. विलेवणविहि, ९. पुप्फविहि, १०. आभरणविहि, ११ धूवविहि, १२. पेज्जविहि, १३. भक्खणविहि, १४. ओदणविहि, १५. सूवविहि, १६. विगयविहि, १७. सागविहि, १८. महुरविहि, १९. जीमणविहि, २०. पाणीयविहि, २१. मुखवासविहि, २२ वाहणविहि, २३. उवाणहविहि, २४. सयणविहि, २५ सचित्तविहि, २६ दव्वविहि। इन छब्बीस बोलों का यथापरिमाण किया है इसके उपरान्त उपभोगपरिभोग वस्तु को भोग निमित्त से भोगने का पच्चक्खाण, जावजीवाए एगविहं तिविहेणं न करेमि मणसा वयसा कायसा एवं सातवां उपभोगपरिभोग दुविहे पण्णत्ते तंजहा-भोयणाओ य कम्मओ य। भोयणाओ समणोवासएणं पंच अइयारा जाणियव्वा न समायरियव्वा, तंजहा ते आलोऊंसचित्ताहारे, सचित्त पडिबद्धाहारे, अप्पउलिओसहिभक्खणया, दुप्पउलिओसहिभक्खणया, तुच्छोसहिभक्खणया, कम्मओ णं समणोवासएणं पण्णरस कम्मादाणाई जाणियव्वाइं न समायरियव्वाइं तंजहा ते आलोउं - इंगालकम्मे, वणकम्मे, साडीकम्मे, भाडीकम्मे, फोडीकम्मे, दंतवाणिजे, लक्खवाणिजे, केसवाणिज्जे, रसवाणिज्जे, विसवाणिज्जे, जंतपीलणकम्मे, णिल्लंछणकम्मे, दवग्गिदावणया, सरदहतलाय-सोसणया, असईजणपोसणया, जो मे देवसिओ अइयारो कओ तस्स मिच्छामि दुक्कडं।
कठिन शब्दार्थ - विहिं - विधि का, पच्चक्खायमाणे - प्रत्याख्यान करते हुए, उल्लणियाविहि - अंगोछे की विधि - शरीर पोंछने के वस्त्रों की मर्यादा, दंतणविहि - दतौन, मंजन आदि की मर्यादा करना। फलविहि - आंवला आदि फल से सिर धोने की मर्यादा, अब्भंगणविहि - शरीर पर मालिश करने के लिए तेल आदि द्रव्यों की मर्यादा,
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