________________
२३०
आवश्यक सूत्र - परिशिष्ट द्वितीय .0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000 उवट्टणविहि - उबटन (पीठी आदि) की मर्यादा, मजणविहि - स्नान और स्नान के जल का परिमाण, वत्थविहि - पहनने के वस्त्रों की मर्यादा, विलेवणविहि - विलेपन-चन्दन आदि की मर्यादा, पुष्फविहि - फूलों तथा फूलमालाओं की मर्यादा, आभरणविहि - आभूषणों की मर्यादा, धूवविहि - अगरबत्ती, गुगल आदि धूप के द्रव्यों की मर्यादा, पेज्जविहि - पेय पदार्थों की मर्यादा करना। भक्खणविहि - घेवर आदि पक्वान्न की मर्यादा, ओदणविहि - रांधे हुए चावल, गेहूँ आदि की मर्यादा, सूवविहि - मूंग, चना, आदि दालों की मर्यादा, विगयविहि - घी, दूध, तेल आदि विकृतियों की मर्यादा, सागविहि - भिण्डी, तरोइ आदि शाक की मर्यादा करना, महुरविहि -- मधुर फलों की मर्यादा, जीमणविहि - रोटी, बाटी आदि जीमने के द्रव्यों की मर्यादा, पाणीयविहि - पीने के पानी की मर्यादा, मुखवासविहिलोंग, सुपारी आदि मुखवास की मर्यादा, वाहणविहि - घोड़ा, मोटर आदि वाहनों की मर्यादा, उवाणहविहि - जूते, चप्पल, मौजे आदि की मर्यादा, सयणविहि - गादी, पलंग आदि की मर्यादा, सचित्तविहि - सचित्त वस्तुओं की मर्यादा, दव्वविहि - खाने-पीने के पदार्थों की संख्या, दुविहे - दो प्रकार का, भोयणाओ - भोजन की अपेक्षा से, कम्मओं - कर्म की अपेक्षा से, य - और, सचित्त पडिबद्धाहारे - सचित्त प्रतिबद्ध का आहार किया हो, अप्पउलिओसहिभक्खणया - अपक्व का आहार किया हो, दुप्पउलिओसहिभक्खणयादुष्पक्व का आहार किया हो, तुच्छोसहिभक्खणया - तुच्छौषधि का आहार किया हो, पण्णरस - पन्द्रह, कम्मादाणाई - कर्मादान, इंगालकम्मे - अंगार कर्म, वणकम्मे - वन कर्म, साडीकम्मे - शाकटिक कर्म, भाडीकम्मे - भाटी कर्म, फोडीकम्मे- स्फोटी कर्म, दंतवाणिजे - दन्त वाणिज्य, लक्खवाणिजे - लाक्षा वाणिज्य, केसवाणिजे- केश वाणिज्य रसवाणिजे - रस वाणिज्य, विसवाणिज्जे - विष वाणिज्य, जंतपीलणकम्मे- यंत्र पीड़न कर्म, निल्लंछणकम्मे - निलांछन कर्म, दवग्गिदावणया - दवाग्नि दापनता, सरदहतलायसोसणया - सर, द्रह तड़ाग शोषणता, असईजणपोसणया - असतीजन पोषणता।
भावार्थ - मैंने शरीर पोंछने के अंगोछे आदि वस्त्र का, दतौन करने का, आंवले आदि फल से बाल धोने का, तेल आदि की मालिश करने का, उबटन करने का, स्नान करने के जल का, वस्त्र पहनने का, चन्दनादि का लेपन करने का, पुष्प सूंघने का, आभूषण पहनने का, धूप जलाने का, दूध आदि पीने का, घेवर आदि मिठाई का, चावल गेहूँ आदि का, मूंग आदि की दाल का, दूध, दही आदि विगय का, शाक का, मधुर रस वाले फलों का, जीमने
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org