________________
श्रावक आवश्यक सूत्र - सत्य अणुव्रत
२२१
सक्खिजे - कूड़ी साख-झूठी साक्षी, सहसब्भक्खाणे - सहसाकार से किसी के प्रति कूडा आल (झूठा दोष) दिया हो, रहस्सब्भक्खाणे - एकान्त में गुप्त बातचीत करते हुए व्यक्तियों पर झूठा आरोप लगाया हो, सदार-मंत-भेए - स्त्री-पुरुष का मर्म प्रकाशित किया हो, मोसोवएसे - मृषा (झूठा) उपदेश दिया हो, कूड-लेह-करणे - कूड़ा (झूठा) लेख लिखा हो। . भावार्थ - मैं यावज्जीवन मन, वचन, काया से स्थूल झूठ स्वयं नहीं बोलूंगा और न दूसरों से बोलवाऊँगा। कन्या वर के संबंध में, गाय भैंस आदि पशुओं के विषय में तथा भूमि के विषय में कभी असत्य नहीं बोलूँगा। किसी की रखी हुई धरोहर को नहीं दबाऊँगा और न धरोहर को कम ज्यादा बताऊँगा तथा किसी की झूठी गवाही भी नहीं दूंगा। यदि मैंने किसी पर झूठा आरोप लगाया हो, रहस्य बात प्रकट की हो, स्त्री पुरुष का मर्म प्रकाशित किया हो, झूठा उपदेश दिया हो और झूठा लेख लिखा हो तो मेरे वे सब पाप निष्फल हो। ,
विवेचन - सत्य अणुव्रत के पाँच अतिचार इस प्रकार है -
१. सहसभक्खाणे - क्रोधादि कषायों के आवेश में आकर बिना विचारे किसी पर हिंसा, झूठ, चोरी आदि का आरोप लगाना। सन्देह होने पर प्रमाण मिले बिना अपने पर आये आरोप को टालने के लिए आरोप लगाना।
२. रहस्सब्भक्खाडे - किसी को एकान्त में बैठे या चर्या करते हुए रहस्य मंत्रणा करते हुए देख कर राजद्रोह आदि का दोषारोपण करना अथवा किसी की गुप्त बात को विकृत रूप में प्रकट करना रहस्याभ्याख्यान है। ___३. सदारमन्तभेए - स्वस्त्री, मित्र, जाति, राष्ट्र किसी की भी कोई गोपनीय बात अन्य के सामने प्रगट करना। सच्ची बात प्रगट करने से स्त्री आदि के साथ विश्वासघात होता है। वह लज्जित होकर मर सकती है। राष्ट्र पर अन्य राष्ट्र आक्रमण कर सकता है अतः विश्वासघात और हिंसा की अपेक्षा से सत्य बात प्रकट करना अतिचार है ।
४. मोसोवएसे (झूठा उपदेश) - बिना पूछे या पूछने पर ऐसा असत्य परामर्श देना, जिससे उसका अहित हो और उसके धन तथा धर्म की हानि हो।
५. कूडलेहकरणे (झूठा - कूड़ा लेख) - दूसरों के साथ विश्वासघात हो ऐसा खोटा लेख लिखना, बनावटी हस्ताक्षर, सिक्के या विधान बनाना आदि कूट लेख लिखना कहलाता है ।
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org