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आवश्यक सूत्र - परिशिष्ट प्रथम
गुणों से युक्त साधु भिक्षा की गवेषणा में प्रवृत्त होवे। सामुदानिक भिक्षाचरी से थोड़ा-थोड़ा आहार लेकर अपने स्थान पर आया हुआ साधु गुरुजन के समीप गमनागमन सम्बन्धी अतिचारों की निवृत्ति के लिए ईर्यापथिकी प्रतिक्रमण करे। इसके बाद जिस क्रम से आहार-पानी की प्राप्ति हुई हो उसकी आलोचना करे और आहार दिखावे। फिर गुरुजन के निकट या गुरु के निर्देशानुसार गीतार्थादि मुनि के पास अप्रमत्त होकर विधिपूर्वक अतिचार रहित होकर अनेषणा जनित दोषों की निवृत्ति के लिए पुनः प्रतिक्रमण (कायोत्सर्ग) करे। इसके बाद शान्त चित्त से सुख पूर्वक बैठे और कुछ समय तक ध्यान करे तथा ध्यान और शुभ योग का आचरण करता हुआ, ज्ञान का चिंतन एवं स्वाध्याय करे और अपने मन को श्रुत चारित्र रूप धर्म में स्थापित करे, फिर आहार करता हुआ साधु मन में विषाद एवं व्यग्रता नहीं लाता हुआ मन को शुभयोग युक्त रखे। मन में धर्म की श्रद्धा, मोक्ष अभिलाषा एवं कर्म निर्जरा की भावना करे, फिर हर्ष पूर्वक उठ कर यथा रत्नाधिक को क्रमानुसार आहार के लिए आमंत्रित करे और उनकी इच्छानुसार उन्हें भाव पूर्वक आहार देने के पश्चात् गुरुजन की आज्ञा होने पर उचित स्थान पर बैठे।
फिर मस्तक सहित शरीर तथा करतल को भली प्रकार से पूंजकर आहार करे। आहार करता हुआ साधु आहार के स्वाद में मूर्च्छित नहीं होवे, गृद्ध, लुब्धं एवं आसक्त नहीं बने। अपना ही स्वार्थ नहीं सोचे। विरस या रस रहित आहार हो, तो उसकी निंदा नहीं करे। मन को रस में एकाग्र नहीं करे। मन में कलुषता नहीं लावे। रसलोलुप नहीं बने। भोजन करता हुआ 'सुर-सुर' या 'चव-चव' की ध्वनि नहीं होने दे। भोजन करने में न तो अतिशीघ्रता करे न अति धीरे-विलम्ब पूर्वक करे। भोजन करते समय आहार का अंश भी नीचे नहीं गिरावें। ऐसे भाजन में भोजन करे जो भीतर से भी पूरा दिखाई देता हो अथवा भोजन-स्थान अन्धकार युक्त न हो। भोजन करता हुआ साधु अपने मन, वचन और काया के योगों को वश में रखे। भोजन को स्वाद युक्त बनाने के लिए उसमें कोई अन्य वस्तु नहीं मिलावे अर्थात् 'संयोजना दोष' और 'इंगाल दोष' नहीं लगावे। अच्छे आहार की निंदा रूप 'धूम दोष' भी नहीं लगावे।
जिस प्रकार गाड़ी को सरलता पूर्वक चलाने के लिए उसकी धूरी में अंजन, तेल आदि लगाया जाता है और शरीर पर लगे हुए घाव को ठीक करने के लिए लेप-मरहम लगाया जाता है। उसी प्रकार संयम यात्रा के निर्वाह के लिए, संयम के भार को वहन करने के लिए
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