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श्रमण आवश्यक सूत्र - कायोत्सर्ग का पाठ (१२५ अतिचार) १५१ .0000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000000
संकिय मक्खिय निक्खित्त, पिहिय साहरिय दायगुम्मीसे। अपरिणय लित्त छड्डिय, एसण दोसा दस हवंति॥५॥ संजोयणाऽपमाणे, इंगाले धूमऽकारणे चेव। (१-१६ उद्गम के १६ दोष १७-३२ उत्पादन के १६ दोष ३३-४२ एषणा के १० दोष ४३-४७ मांडला के ५ दोष) १००-१०१ आदान भाण्ड मात्र निक्षेपणा समिति के दो अतिचार चक्खुसा पडिलेहिता, पमजेज जयं जई। आइए णिक्खिवेज्जा वा, दुहओ वि समिए सया॥ (१. आदान - बिना देखे उपकरण आदि लेना। २. निक्षेप - बिना देखे उपकरण आदि रखना।) १०२-१११ उच्चार पासवण खेल जल्ल सिंघाण परिठ्ठावणिया समिति
के दस अतिचार अणावायमसंलोए, परस्सऽणुवघाइए। समे अज्झुसिरे यावि, अचिरकालकयम्मि य॥१॥ विच्छिण्णे दूरमोगाढे, णासण्णे बिलवज्जिए। . तस-पाण-बीयरहिए, उच्चाराईणि वोसिरे॥२॥ (१-१० स्थण्डिल के दस दोष) ११२-१२० तीन गुप्ति के नौ अतिचार संरंभ-समारंभे, आरंभे य तहेव य। . मणं पवत्तमाणं तु, णियत्तेज्ज जयं जई॥१॥ संरंभ, समारंभे, आरंभे य तहेव य। वयं पवत्तमाणं तु, णियत्तेज जयं जई॥२॥ संरंभ-समारंभे, आरंभे य तहेव य। कायं पवत्तमाणं तु, णियत्तेज जयं जई॥३॥
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