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प्रत्याख्यान - प्रत्याख्यान सूत्र wwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwwww. अभत्तट्ठ यानी उपवास। सूर्योदय से लेकर दूसरे दिन सूर्योदय तक चारों आहारों का त्याग चौविहार अभत्तट्ठ (उपवास) कहलाता है। चौविहार उपवास के पांच आगार हैं - १. अनाभोग २. सहसाकार ३. पारिष्ठापनिकाकार ४. •महत्तराकार और ५. सर्वसमाधिप्रत्ययाकार। इनका स्पष्टीकरण पूर्व में दिया जा चुका है।
तिविहार उपवास उग्गए सूरे अभत्तटुं पच्चक्खामि, तिविहं पि आहार-असणं, खाइमं, साइमं। अण्णत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पारिट्ठावणियागारेणं ० महत्तरागारेणं सव्वसमाहिवत्तियागारेणं पाणस्स लेवाडेण वा अलेवाडेण वा अच्छेण वा बहलेण वा ससित्थेण वा असित्थेण वा वोसिरामि ।
कठिन शब्दार्थ - पाणस्स - पानी का, लेवाडेण - लेपकृत, अलेवाडेण - अलेपकृत, अच्छेण - अच्छ, बहलेण - बहल, ससित्थेण - ससिक्थ, असित्थेण - असिक्थ।
भावार्थ - सूर्योदय से उपवास ग्रहण करता हूँ। अनाभोग, सहसाकार, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार, सर्व समाधि प्रत्ययाकार के सिवाय अशन, खादिम, स्वादिम तीनों ही आहार एवं लेवाड (लेपकृत) - दाल आदि का मांड, इमली, खजूर, दाख आदि का धोवन, अलेवाड (अलेपकृत) - छाछ आदि का निथरा हुआ पानी (आंछ) और कांजी आदि का पानी, अच्छ - गर्म किया हुआ स्वच्छ पानी, बहल - तिल, चावल, जौ आदि के ओसामण का पानी, ससिक्थ.-. आटे आदि से भरे हुए हाथ तथा पात्र का कण से युक्त धोवन, असिक्थ - आटे आदि से भरे हुए पात्र आदि का कण से रहित छना हुआ धोवन के सिवाय पानी का त्याग करता हूँ।
: विवेचन - पानी का आगार रख कर तीन आहारों का त्याग करना तिविहार उपवास है। पानी संबंधी आगारों का भावार्थ इस प्रकार है - ... १. लेपकूत - वह पानी जो पात्र में उपलेपकार है, लेपकृत कहलाता है। जैसे - दाल आदि का मांड तथा इमली, खजूर, द्राक्षा आदि का पानी।
© "पारिट्ठावणियागारेणं" श्रावक को नहीं बोलना चाहिए।
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