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प्रत्याख्यान - प्रत्याख्यान सूत्र
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महत्तराकार का अर्थ है - विशेष निर्जरा आदि को ध्यान में रखकर रोगी आदि की सेवा के लिए गुरुदेव आदि महत्तर पुरुष की आज्ञा पाकर निश्चित्त समय के पहले ही प्रत्याख्यान पार लेना।
पूर्वार्द्ध प्रत्याख्यान के समान ही अपार्ध प्रत्याख्यान भी होता है। अपार्ध प्रत्याख्यान का अर्थ है - तीन पहर दिन चढ़े तक आहार ग्रहण न करना। अपार्द्ध प्रत्याख्यान ग्रहण करते समय ‘पुरिमट्ट' के स्थान पर 'अवर्ल्ड' पाठ बोलना चाहिये। शेष पाठ दोनों प्रत्याख्यानों का समान है।
४. एकाशन :: एगासणं पच्चक्खामि, तिविहं 8 पि आहार-असणं, खाइमं, साइमं। अण्णत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, सागारियागारेणं, आउंटणपसारणेणं, गुरुअब्भुट्ठाणेणं, पारिट्ठावणियागारेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि। - कठिन शब्दार्थ - सागारियागारेणं - सागारिकाकार, आउंटणपसारणेणं - आकुञ्चनप्रसारण, गुरु अब्भुट्टाणेणं - गुर्वभ्युत्थान, पारिट्ठावणियागारेणं - पारिष्ठापलिकाकार। ... भावार्थ - एकाशन तप स्वीकार करता हूँ फलतः अशन, खादिम स्वादिम तीनों आहारों का प्रत्याख्यान करता हूँ। अनाभोग, सहसाकार, सागारिकाकार, आकुञ्चनप्रसारण, गुर्वभ्युत्थान, पारिष्ठापनिकाकार, महत्तराकार, सर्वसमाधि प्रत्ययाकार-उक्त आठ आगारों के सिवा पूर्णतया आहार का त्याग करता हूँ।
विवेचन - पौरुषी या पूर्वार्द्ध के बाद दिन में एक बार भोजन एकाशन तप होता है। एकाशन का अर्थ होता है - एक+अशन, अर्थात् दिन में एक बार भोजन करना। यद्यपि मूल पाठ में यह उल्लेख नहीं है कि - "दिन में किस समय भोजन करना' फिर भी प्राचीन परंपरा है कि कम से कम एक पहर के बाद ही भोजन करना चाहिये। क्योंकि एकाशन में पौरुषी तप अन्तर्निहित है।
'एगासण' प्राकृत शब्द है, जिसके संस्कृत रूपान्तर दो होते हैं - एकाशन और एकासन। एकाशन का अर्थ है एक बार भोजन करना और एकासन का अर्थ है - एक
® यदि चौविहार करना हो तो 'चउव्विह' कह कर 'असणं' के बाद 'पाणं' भी कहना चाहिए।
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