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________________ आवश्यक सूत्र षष्ठ अध्ययन ***** पहर दिन चढ़ने पर मनुष्य की छाया घटते घटते अपने शरीर प्रमाण लंबी रह जाती है। इसी भाव को लेकर पौरुषी शब्द प्रहर परिमित काल विशेष के अर्थ में लक्षण के द्वारा रूढ़ हो गया है। १३० पोरिसी के छह आगार इस प्रकार हैं - १. अनाभोग २. सहसाकार ३. प्रच्छन्नकाल ४. दिशामोह ५. साधु वचन और ६. सर्व समाधि प्रत्ययाकार। अनाभोग, सहसाकार का अर्थ पूर्व में दिया जा चुका है शेष आगारों का अभिप्राय इस प्रकार है प्रच्छन्नकाल बादल आंधी या पहाड़ आदि के बीच में आ जाने पर सूर्य के न दिखाई देने से अधूरे समय में पोरिसी के काल को पूरा समझ कर पार लेना । दिशामोह - पूर्व को पश्चिम समझ कर पोरिसी न आने पर भी सूर्य के ऊंचा चढ़ आने की भ्रान्ति से अशनादि सेवन कर लेना । - साधुवचन - 'पोरिसी आ गई' इस प्रकार किसी आप्त पुरुष के कहने पर बिना पोरिसी आए ही पोरिसी पार लेना । सर्वसमाधिप्रत्ययाकार - किसी आकस्मिक शूल आदि तीव्र रोग की उपशांति के लिए औषधि आदि ग्रहण कर लेना । ३. पूर्वार्द्ध उग्गए सूरे पुरिमड्डुं पच्चक्खामि, चउव्विहं पि आहारं असणं, पाणं, खाइमं, साइमं, अण्णत्थणाभोगेणं, सहसागारेणं, पच्छण्णकालेणं दिसामोहेणं, साहुवयणेणं, महत्तरागारेणं, सव्वसमाहिवत्तियागारेणं वोसिरामि । " कठिन शब्दार्थ - महत्तरागारेणं - महत्तराकार । भावार्थ - सूर्योदय से लेकर दिन के पूर्वार्ध तक अर्थात् दो प्रहर तक चारों आहार अशन, पान, खादिम, स्वादिम का प्रत्याख्यान करता हूँ। अनाभोग, सहसाकार, प्रच्छन्नकाल, दिशामोह, साधुवचन, महत्तराकार और सर्वसमाधिप्रत्ययाकार - उक्त सात आगारों के सिवाय पूर्णतया आहार का त्याग करता हूँ । विवेचन - यह पूर्वार्द्ध प्रत्याख्यान का सूत्र है। इसमें सूर्योदय से लेकर दिन के पूर्व भाग तक अर्थात् दो प्रहर दिन चढ़े तक चारों आहार का त्याग किया जाता है । प्रस्तुत प्रत्याख्यान में सात आगार माने गये हैं। छह तो पूर्वोक्त पौरुषी के ही आगार हैं, सातवां आगार महत्तरागारेण (महत्तराकार) है। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004176
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages306
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size6 MB
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