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________________ प्रतिक्रमण - प्रतिज्ञा सूत्र (नमो चउवीसाए का पाठ) - १०७ मविसंधि, सव्वदुक्खप्पहीणमग्गं । इत्थं ठिया जीवा सिझंति, बुझंति, मुच्चंति, परिणिव्वायंति, सव्वदुक्खाणमंतं करेंति। तं धम्मं सद्दहामि, पत्तियामि, रोएमि, फासेमि, पालेमि, अणुपालेमि। तं धम्म सहतो, पत्तियंतो, रोयंतो, फासंतो, पालंतो, अणुपालंतो। तस्स धम्मस्स केवलिपण्णत्तस्स अब्भुट्टिओमि आराहणाए, विरओमि विराहणाए। १. असंजमं परियाणामि, संजमं उवसंपज्जामि। २. अबंभं परियाणामि, बंभं उवसंपज्जामि। ३. अकप्पं परियाणामि, कप्पं उवसंपज्जामि। ४. अण्णाणं परियाणामि, णाणं उवसंपज्जामि। ५. अकिरियं परियाणामि, किरियं उवसंपज्जामि। ६. मिच्छत्तं परियाणामि, सम्मत्तं उवसंपज्जामि। ७ अबोहिं परियाणामि, बोहिं उवसंपज्जामि। ८. अमग्गंक परियाणामि, मग्गं उवसंपज्जामि। _. जं संभरामि, जं च न संभरामि, जं पडिक्कमामि, जं च न पडिक्कमामि, तस्स सव्वस्स देवसियस्स अइयारस्स पडिक्कमामि । . समणोऽहं संजय-विरय-पडिहय-पच्चक्खाय पावकम्मो, अनियाणो, दिट्ठिसंपन्नो, मायामोस-विवजिओ। अड्डाइजेसु दीवसमुद्देसु पण्णरससु कम्मभूमिसु जावंत० केइ साहू, रयहरण-गुच्छ पडिग्गहधरा पंच महव्वय धरा अट्ठारस-सहस्ससीलंग [रह] धरा+अक्खयायार-चरित्ता, ते सव्वे सिरसा मणसा मत्थएण वंदामि। ___ कठिन शब्दार्थ - चउवीसाए - चौबीस, तित्थयराणं - तीर्थंकरों को, पजवसाणाणंपर्यन्तों को, इणमेव - यह ही, णिग्गंथं - निर्ग्रन्थों का, पावयणं - प्रवचन, सच्चं - सत्य है, अणुत्तरं - सर्वोत्तम है, केवलियं - सर्वज्ञ प्ररूपित अथवा अद्वितीय है, पडिपुण्णं - प्रतिपूर्ण है, णेयाउयं - न्यायाबोधित है, मोक्ष ले जाने वाला है, संसुद्धं - पूर्ण शुद्ध है, सल्लगत्तणं - शल्यों को काटने वाला है, सिद्धिमग्गं - सिद्धि का मार्ग है, मुत्तिमग्गं - मुक्ति का मार्ग है, णिज्जाणमग्गं - संसार से निकलने का मार्ग है, मोक्ष स्थान का मार्ग है, णिव्वाणमग्गं - निर्वाण का मार्ग है, अवितहं - तथ्य है, यथार्थ है, अविसंधि - अव्यवच्छिन्न कहीं कहीं 'उम्मग्गं' पाठ भी मिलता है । पाठान्तर-.जावंति..के वि +गुच्छग *धारा Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004176
Book TitleAavashyak Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNemichand Banthiya, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sudharm Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year2007
Total Pages306
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_aavashyak
File Size6 MB
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