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प्रतिक्रमण - तेतीस बोल का पाठ
१. हस्तकर्म करे ।
२. मैथुन सेवे ।
३. रात्रि - भोजन करे ।
४. आधाकर्मी आहारादि सेवन करे ।
५. राजपिण्ड सेवन करे ।
६. पांच बोल सेवे - खरीद किया हुआ, उधार लियां हुआ, जबरन् छिना हुआ, स्वामी की आज्ञा बिना लिया हुआ और स्थान पर या सामने लाकर दिया हुआ आहार आदि ग्रहण करे (साधु को देने के लिए ही खरीदा हो । अन्यथा स्वाभाविक तो सभी खरीदा जाता है) ।
७. त्याग कर के बार - बार तोड़े ।
८. छह-छह महीने में गण-संप्रदाय - पलटे ।
९. एक मास में तीन बार कच्चे जल का स्पर्श करे - नदी उतरे ।
१०. एक मास में तीन बार माया (कपट) करे ।
११. शय्यातर (स्थान दाता) के यहाँ का आहार करे ।
१२. जानबूझ कर हिंसा करे ।
१३. जानबूझ कर झूठ बोले ।
१४. जानबूझ कर चोरी करे।
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१५. जानबूझ कर सचित्त- पृथ्वी पर शयन-आसन करे ।
१६. जानबूझ कर सचित्त - मिश्र पृथ्वी पर शय्या आदि के ।
१७. सचित्त शिला तथा जिसमें छोटे-छोटे जन्तु रहें, वैसे काष्ठ आदि वस्तु पर अपना शयन - आसन लगावे ।
१८. जानबूझ कर दस प्रकार की सचित्त वस्तु खावे-मूल, कंद, स्कन्ध, त्वचा, शाखा, प्रवाल, पत्र, पुष्प, फल और बीज ।
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१९. एक वर्ष में दस बार सचित्त जल का स्पर्श करे-नदी उतरे ।
२०. एक वर्ष में दस बार माया ( कपट) करे ।
२१. सचित्त जल से भीगे हुए हाथ से गृहस्थ, आहारादि देवे और उसे जानता हुआ लें कर भोगवे ।
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