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___ आवश्यक सूत्र - चतुर्थ अध्ययन mommommenomenommommeommemornvironmeonemmomameronommemoram
णायझयणेहिं (ज्ञाता के अध्ययन) - ज्ञाताधर्मकथांग सूत्र के १९ अध्ययन इस प्रकार हैं - - १. उत्क्षिप्तज्ञान (मेघकुमार का) २. संघाट (धन्नासार्थवाह और विजय चोर का) ३. अंड (मयूरी के अण्डों का) ४. कूर्म (कछुए का) ५. शैलक (थावच्चापुत्र और शैलक
राजर्षि का) ६. तुंबे का ७. रोहिणीज्ञात (धन्नासार्थवाह और चार बहुओं का) ८. मल्ली ' (मल्ली भगवती का) ९. माकंदी (जिनपाल और जिनरक्षित का) १०. चन्द्र की कला का ११. दावद्रव वृक्ष का १२. उदकज्ञात (जितशत्रु राजा और सुबुद्धि प्रधान का) १३. द१रज्ञात (नन्द मणिकार का) १४. तेतलीपुत्र (तेतलीपुत्र प्रधान और पोटिला का) १५. नंदी. फल का १६. अपरकंका का १७. आकीर्ण (उत्तम घोड़ों का) १८. सुंसुमा बालिका का और १९. पुंडरीक कंडरीक का।।
असमाहि ठाणेहिं (असमाधि स्थान) - जिस सत्कार्य के करने से चित्त में शांति हो, आत्मा ज्ञान, दर्शन और चारित्र रूप मोक्ष मार्ग में अवस्थित रहे, उसे समाधि कहते हैं और जिस कार्य से चित्त में अप्रशस्त एवं अशांत भाव हो, ज्ञानादि मोक्षमार्ग से आत्मा भ्रष्ट हो, उसे असमाधि कहते हैं। असमाधि के बीस स्थान इस प्रकार हैं -
१. उतावल से चले २. बिना पूंजे चले ३. अयोग्य रीति से पूंजे ४. पाट-पाटला अधिक रखे ५. बड़ों के-गुरुजनों के सामने बोले ६. वृद्ध-स्थविर-गुरु का उपघात करे (मृत प्रायः करे) ७. साता-रस-विभूषा के निमित्त एकेन्द्रिय जीव हणे ८. पल पल में क्रोध करे ९. हमेशा क्रोध में जलता रहे १०. दूसरे के अवगुण बोले, चुगली-निंदा करे ११. निश्चयकारी भाषा बोले १२. नया क्लेश खड़ा करे १३. दबे हुए क्लेश को पीछा जगावे १४. अकाल में स्वाध्याय करे १५. सचित्त पृथ्वी से भरे हुए हाथों से गोचरी करे १६. एक प्रहर रात्रि बीतने पर भी जोर-जोर से बोले १७. गच्छ में भेद उत्पन्न करे १८. क्लेशं फैला कर गच्छ में परस्पर दुःख उपजावे १९. सूर्य उदय होने से अस्त होने तक खाया ही करे और २०. अनेषणीय अप्रासुक आहार लेवे।
सबलेहिं (शबल दोष) -जिन कार्यों के करने से चारित्र की निर्मलता नष्ट हो जाती है, चारित्र मलक्लिन्न होने के कारण कर्बुर-चितकबरा हो जाता है, उन्हें शबल दोष कहते हैं। इक्कीस शबल दोष इस प्रकार हैं -
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