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[(रमण)-(आहरण)- (मोपण) 1/1] गारव-भएण [(गारव)(भप्र) 3/1] * कभी कभी पंचमी विभक्ति के स्थान सप्तमी. विभक्ति का प्रयोग पाया जाता है। [हेम प्राकृत व्याकरण : 3-136]
32. अविवेम-संकिणोच्चअ [(प्रविवेप्र)-(संकि) 1/2 वि] च्चेअ (अ)=
ही णिग्गुणा (णि-ग्गुण) 1/2 वि पर-गुणे [(पर) वि-(गुण) 2/2] पसंसंति (पसंस) व 3/2 सक लद्ध-गुणा [(लद्ध) भूक अनि-(गुण) 1/2] उण (प्र)-परन्तु पहुणो (पहु) 1/2 वाढं (अ)=बहुत ज्यादा वामा (वाम) 1/2 वि पर-गुणेसु[(पर) वि-(गुण) 7/2]
33. सम्वो (सव्व) 1/1 वि च्चिन (अ) ही स-गुणुक्करिस लालसो [(स)
+ (ग्रुण) + (उक्करिस)+ (लालसो)] [(स) वि-(गुण)-(उक्करिस)–(लासस) 1/1 वि] वहइ (वह) व 3/1 सक मच्छरुच्छांह [(मच्छर)+ (उच्छाह)] [(मच्छर) वि--(उच्छाह) 2/1] ते (त) 1/2 वि पिसुणा (पिसुण) 1/2 जे (ज) 1/2 स ण (अ)=नहीं सहंति (सह) व 3/2 सक णिग्गुणा (णिग्गुण) 1/2 वि पर-गुणुग्गारे [(पर)+ (गुण) + (उग्गारे)] [(पर)--(गुण)-(उग्गार) 2/2]
34. सुप्रणतणेण (सुअणत्तण) 3/1 घेप्पड (घेप्पइ) व कर्म 3/1 सक
अनि थोएणं (थोप) 3/1 वि चित्र (प्र) ही परो (पर) 1/1 वि सुचरिएण (सुचरित्र) 3/1 दुक्ख परिप्रोसिमन्वो [(दुक्ख)-(परिप्रोस) विधि कू 1/1] अप्पागो (अप्पाण) 1/1 च्चे (प्र) ही लोअस्स (लोअ) 6/1.
वाक्पतिराम की
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