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वि (अ)='के'. प्रादि के साथ जोड़ दिया जाता है । सावपास (सअवसास) 1/2 वि अागे संतुक्त अक्षर (व्व) के आने से दीर्घ स्वर हस्व स्वर हुअा है। व्व (अ)=थोड़ी जण-सामण्णं [(जण)-(सामण्ण) J/1] तं (त) 1/1 सवि ताण (त) 4/2 स किपि (प्र)-कुछ अण्णं (अण्ण) 1/| वि चिन (अ)-ही णिमित्त (रिणमित्त) 1/1
29. वच्चंति (वच्च) व 3/2 सक वेस-भावं [(वेस)-(भाव) 2/1]
जेहिं (ज) 3/2 सवि चिअ (अ)-ही सज्जणा (सज्जण) 1/2 गरिंदाण (गरिंद) 6/2 तेहिं (त) 3/2 स बहुमाणं (बहुमाण) 2/1 गुहि (गुण) 3/2 किं (अ)-क्यों णाम (अ)=मैं जानना चाहूंगा। मग्गंति (मग्ग) व 3/2 सक
30.
को (क) 1/1 स व्व (प्र)='को' आदि के साथ जोड़ दिया जाता है । ण (प्र)=नहीं परंमुहो (परंमुह) 1/1 वि णिग्गुणाण (रिण-गुण) 6/2 वि गुणिणो (गुणि) 1/2 वि कं (क) 2/1 स व (अ)='क' आदि के साथ जोड़ दिया जाता है । दूर्मेति (दूम) व 3/2 सक जो (ज) 1/1 स वा (अ)-या गुणी (गुणि) 1/1 वि वा (अ)=या णिग्गुणो (णिगुण) 1/1 वि सो (त) 1/1 स सुहं (क्रिविप्र)-सुख पूर्वक जिअइ (जिन) व:3/1 अक
जं (ज) 1/1 स सुप्रणेसु (सुप्रण) 7/2 णिअत्तइ (रिणप्रत्त) व 3/1 अक पहूण (पहू) 6/2 पडिवत्ति-णीसहं [(पडिवत्ति)-(णीसह) 1/1 वि] हिन(हिप्रय) 1/1 तं (अ)-तो खु (अ)=वास्तव ये इमं (इम) 1/1 सवि रप्रणाहरण-मोअणं [(रमण) + (प्राहरण) + (मोमणं)]
लोकानुभूति
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