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124 खाई - पूया - लाह, सकाराई किमिच्छसे जोई ।
इच्छसि जइ परलोयं, तेहिं कि तुझ परलोये ॥
• 125 जत्थेव पासे कइ दुप्पउत्तं, काएण वाया अदु मारणसेरणं ।।
तत्थेव धीरोपडिसाहरेज्जा, पाइन्ननो खिप्पमिवक्खलीरणं॥
126 जो धम्मिएसु भत्तो, अणुचरणं कुणदि परमसद्धाए ।
पियवयणं . जपतो, वच्छल्लं तस्स भध्वस्स ॥
127 जह जह सुयमोगाहइ, अइसयरसपसरसंजुयमपुव्वं । - तह तह पल्हाइ मुणी, नवनवसंवेगसंद्धामो॥
128 सूई जहा ससुत्ता, न नस्सई कयवरम्मि परिमा वि । __जीवो वि तह ससुत्तो, न नस्सइ गमो वि संसारे ॥
129 जेण तच्चं विबुझज्ज, जेरण चित्त रज्झवि
जेरण प्रत्ता विसुज्झज्ज, तं गाणं जिणसासणे ॥
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' [ समणसुत्तं
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