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58 जा जा वज्जई रयणी, न सा पडिनियत्तई।
अहम्मं कुरणमाणस्स, अफला जन्ति · राइप्रो॥ 59 अप्पा जाणइ अप्पा, जहटिनो अप्पसक्खिनो धम्मो ।
अप्पा करेइ तं तह, जह अप्पसुहावनो होइ ॥
60 अप्पा नई वेयरणी, अप्पा मे कडसामली।
अप्पा कामदुहा घेणे, अप्पा मे नंदणं वरणं ॥
61 अप्पा कत्ता विकसा य, दुहारण य सुहाण य ।
अप्पा मित्तममित्तं च, दुप्पट्ठिय सुप्पट्टिनो ॥
62 एगप्पा अजिए सत्त, कसाया इन्दियाणि य ।
ते जिणित्तु जहानायं, विहरामि अहं मुणी! ॥ ..
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[ समणसुत्तं
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