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141. (जो) शत्रु और मित्र में तथा मान और अपमान में 142. समतायुक्त (है), (जो) शीत और उष्ण (स्पर्शों) में (तथा)
सुख और दुःख में समतायुक्त (है), (जो) आसक्ति-रहित (है), (जिसके लिए) निन्दा और प्रशंसा समान (है) (और) (उनमें) (जो) मौन रखनेवाला (है), (जो) जिस किसी (भी वस्तु की प्राप्ति) से संतुष्ट (है), (जो) घर-रहित (है) और स्थिर बुद्धिवाला (है), (वह) (मेरी) आराधना करनेवाला मनुष्य मेरे लिए (प्रिय) है।
143. (जहाँ) विनम्रता, निष्कपटता, अहिंसा, धर्म, सरलता 144. (और) आध्यात्मिक गुरु की सेवा (है); (जहाँ) निर्मलता, मन 145. को दृढता, और स्वसंयम है,(जहाँ)इन्द्रियों के विषयों में वैराग्य 146. (है), (जहाँ) अहंकार का प्रभाव (है), तथा (जहाँ) जन्म47. मरण-बुढापा-रोग (से उत्पन्न) दुःखों की बुराई को देखना
भी (है), (जहाँ) अनासक्ति, पुत्र-पत्नी-गृह आदि में सम्बन्ध का अभाव (है), और (जहाँ) इष्ट-अंनिष्ट प्राप्तियों में सदैव समतायुक्त चित्तता (है), (जहाँ) मेरे में एकाग्र विधि से एकनिष्ठ भक्ति (है), (जहाँ) एकाकी स्थान में रहना (है) (और) (जहाँ) मनुष्यों की भीड़ में (रहते हुए) बैचैनी (है), (जहाँ) आध्यात्मिक ज्ञान की निरन्तरता (है) (तथा)(जहाँ) तत्त्वज्ञान के प्रयोजन की समझ (है),(वहाँ) यह(सब)ज्ञान ही कहा गया (है) (और) इसलिए जो इसके विपरीत (है); वह अज्ञान (कहा गया) है।
चयनिका ...
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