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67. रखरेदात्मनात्मानं नात्मानमवसादयेत् [(उदरेद) + (प्रात्मना)+
(मात्मानम्)+ (न) + (मात्मानम्) + (अवसादयेत्)] उदरेत (उद्हृ +उद्-हरेत्-उद्धरेद) विधि 3 || सक. आत्मना (प्रात्मन्) 3/1. प्रात्मानम् (प्रात्मन्)2/1. न (प्र) = नहीं. प्रात्मानम् (प्रात्मन्)2/1.
अवसादयेत् (प्रव-सद्-+अवसादय) विधि 3/1 सक. प्रात्मैव [(मात्मा) + (एव)] प्रात्मा (प्रात्मन्) 1/1. एव (प्र)=ही. शात्मनो बन्धुरात्मैव [(हि) + (मात्मनः) + (बन्धुः) + (प्रात्मा)+ (एव)] हि (अ)=क्योंकि. प्रात्मनः (प्रात्मन्) 6/1. बन्धुः । (बन्धु) 1/1. प्रात्मा (प्रात्मन्) 1/1. एव (प्र)=ही. रिपुरात्मनः [ (रिपुः)+ .
(प्रात्मनः)] रिपुः (रिपु) 1/1. प्रात्मनः (प्रात्मन्) 6/1. 68. बन्धुरात्मात्मनस्तस्य [(बन्धुः) + (प्रात्मा) + (अात्मनः) + (तस्य)]
बन्धुः (बन्धु)1/1. प्रात्मा (प्रात्मन्) 1/1. प्रात्मनः (प्रात्मन्) 6/1. तस्य (तत्) 6/1 स. येनात्मैवात्मना [(येन) + (प्रात्मा)+ (एव) (प्रात्मना)] येन (यत्) 3/1. स प्रारमा (आत्मन्) 1/1. एव (म)=ही. प्रात्मना (प्रात्मन) 3/1. जितः (जि-जित) भूक 1/1. अनात्मनस्तु [(अनात्मनः)+(तु)] अनात्मनः (मनात्मन्) 6/1 वि. तु (अ)= किन्तु. शत्रुत्वे (शत्रुत्व) 7/1. वर्तेतात्मैव [ (वर्तेत)+ (आत्मा) + (एव)] वर्तेत' (वृत) विधि 3/1 प्रक. प्रात्मा (मात्मन्) 1/1. एव (प्र) =ही. शत्रुवत् (म)= शत्रु के समान .
1. भविष्यकाल की अभिव्यक्ति कभी-कभी विषिमिङ्ग के द्वारा भी होती है। 2. 'समानता' पर्थ को प्रकट करने के लिए संज्ञा या विशेषण शब्दों के साथ 'वत्'
बोड़ दिया जाता है और ऐसे शम्ब अम्यय हो जाते है।
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