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+ (असंभूढः) + (ब्रह्मविद्) (ब्रह्मणि)] स्थिरबुद्धिः (स्थिरबुद्धि) 1/1 वि. प्रसंमूढः (प्र-संमूढ) I|| वि. ब्रह्मविद् (ब्रह्मविद) 1/1
वि ब्रह्मणि (ब्रह्मन्) 7/1]. स्थितः (स्था+स्थित) भूक 1/1. 62. बाह्यस्पर्शज्यसत्तात्मा [(बाह्यस्पर्शेषु) + (प्रसक्तात्मा)] बाह्यस्पर्शेषु
[(बाह्य) वि-(स्पर्श) 7/3]. असक्तात्मा [(असक्त) + (प्रात्मा)] [(प्रसञ्--प्रसक्त) भूक-(प्रात्मन्) 1/1] विन्दत्यात्मनि [(विन्दति) + (मात्मनि)] विन्दति (विद) व 3/1 सक. प्रात्मनि (पात्मन्) 7/1 यत्सुलम् [(यत्) + (सुखम्)] यत् (यत्) 2/1 सवि. सुबम् (सुख) 2/1. स ब्रह्मयोगयुक्तात्मा [(सः) + (ब्रह्मयोगयुक्तात्मा)] सः (तत्) 1/| सवि. ब्रह्मयोगयुक्तात्मा [(ब्रह्मयोग) + (युक्त) + (आत्मा)] [(ब्रह्मयोग)-(युज्–युक्त) भूक-(प्रात्मन्) 1/1]. सुखमक्षयमश्नुते [(सुखम्) + (अभयम्) + (प्रश्नुते)] सुखम् (सुख)
2/1 प्रक्षयम् (अभय) 2/1 वि. प्रश्नुते (प्रश्) व 3/1 सक. 63. योऽन्तःसुखोऽन्तरारामस्तवान्तज्योतिरेव [(यः) + (अन्तः सुखः) +
(अन्तरारामः) + (तथा) + (अन्तज्योतिः) + (एव)] यः (यत्) 1/1 सवि. अन्तः सुखः [(अन्तर्)+(सुखः)] अन्तर् (अ)= आन्तरिक रूप से. सुखः (सुख) 1/1 वि. अन्तरारामः [(अन्तर्) + (पारामः)] अन्तर् (म)=पान्तरिक रूप से. मारामः (माराम) 1/1. तथा (प्र) =ौर. अन्तज्योतिः [(अन्तर्) + (ज्योतिः)] अन्तर् (प्र)=प्रान्तरिक रूप से. ज्योतिः (ज्योतिस्) 1/1. एव (म)=ही. यः (यत्) 1/1 सवि. स योगी [(सः) + (योगी)] सः (तत्) 1/1 सवि. योगी (योगिन्) 1/1. ब्रह्मानिर्वाणं ब्रह्ममूतोऽधिगच्चति [(ब्रह्मनिर्वाणम्) + (ब्रह्मभूतः) + (अधिगच्छति).] ब्रह्मनिर्वाणम् (ब्रह्म निर्वाण) 2/1. ब्रह्मभूतः (ब्रह्मभूत) 1/। वि. अधिगच्छत्ति (मधि
गम्) व 3/1 सक. चयनिका
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