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________________ 2/3. इन्द्रियार्थेभ्यः [(इन्द्रिय) + (अर्थेभ्यः)] [(इन्द्रिय)-(अर्थ) 5/3] तस्य (तत्) 6/1 स प्रज्ञा (प्रज्ञा) 1/1 प्रतिष्ठिता (प्रति भूकृ स्त्री स्था--प्रतिष्ठित-प्रतिष्ठिता) भूक 1/1... 18. विषया विनिवर्तन्ते [(विषयाः) - (विनिवर्तन्ते)] विषयाः (विषय) 1/3. विनिवर्तन्ते (विनि-वृत) व 3/3 अक निराहारस्य (निराहार) 6/1 वि देहिनः (देहिन्) 6/1 रसवज रसोऽप्यस्य [(रसवर्जम्) - (रसः) + (अपि) । (अस्य)] रसवर्जम् (प्र)=स्वाद / रस नहीं. रसः 1/1. अपि (अ)=भी. अस्य (इदम्)6/1 स परं दृष्ट्वा [(परम्) + दृष्ट्वा )] [(परम्) + (दृष्ट्वा )] परम् (पर)2/1 वि. दृष्ट्वा (श्) पूक निवर्तते (नि-वृत) व 3/1 अक. 19. तानि (तत्) 2/3 सवि सर्वाणि (सर्व) 2/3 वि संयम्य (सम्-यम्) पूकृ युक्त प्रासीत [(युक्तः) + (प्रासीत)] युक्तः (युज्+युक्त) भूक 1/1. आसीत (प्रास्) विधि 3/1 अक मत्परः। (मत्पर)।/1 वि वशे (वश) 7/1 हि (अ)=क्योंकि यस्येन्द्रियारिण. [(यस्य) + (इन्द्रियाणि)] यस्य (यत्). 6/1 स. इन्द्रियाणि (इन्द्रिय) 1/3 तस्य (तत्) 6/1 स प्रज्ञा (प्रज्ञा) 1/1 प्रतिष्ठिता (प्रति-स्था स्त्री प्रतिष्ठित-प्रतिष्ठिता) 1/1. 20. ध्यायतो विषयान्पुंसः [(ध्यायतः) + (विषयान्) + (पुंसः)] घ्यायतः (ध्य-+ध्यायत्)वक 6/1. विषयान् (विषय)2/3. पुंसः (पुंस्) 6/1. ___ 1. मत्परः-devoted to me (Monier Williams, P. 777 CollII) मद्-उत्तमपुरुष सर्वनाम के एकवचन का रूप जो प्रायः समस्त शब्दों के भारम्भ में प्रयुक्त होता है (माप्टे,संस्कृत-हिन्दी कोष). 70 ] गीता Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004162
Book TitleGeeta Chayanika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani
PublisherPrakrit Bharti Academy
Publication Year2005
Total Pages178
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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