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इस लोक में उसे (उभ ) 2 / 2 वि सुकृतदुष्कृते [ ( सुकृत) - (दुष्कृत) 2/2] तस्माद्योगाय [ ( तस्मात्) + (योगाय ) ] तस्मात् ( प्र ) = इसलिए. योगाय (योग) 4 / 1 युज्यस्व (युज् ) प्राज्ञा 2 / 1 सक योगः (योग) 1 / 1 कर्म सु ( कर्मन्) 7/3 कौशलम् ( कौशल 1 / 1.
[
( बुद्धियुक्ताः) + (हि)] बुद्धि
12. कर्मजं ( कर्मज) 2 / 1 वि बुद्धियुक्ता हि युक्त) भूकृ
-
युक्ता: [ (बुद्धि) - (युज् फलं त्यक्त्वा [ ( फलम् ) + ( त्यक्त्वा ) ] ( त्यज्) पूकृ मनीषिणः ( मनीषिन् )
फलम् (फल) 2 / 1 1/3 जन्मबन्धविनिर्मुक्ताः [ (जन्म) - (बन्ध ) - (वि- निर्मुच् विनिर्मुक्त) भूकृ 1 / 3] पदं - गच्छन्त्यनामयम् [(पदम्) + ( गच्छन्ति ) + ( श्रनामयम् ) ] पदम् (पद) 2 / 1. गच्छन्ति ( गम् ) व 3 / 3सक. अनामयम् (ग्रनामय ) 2 / 1. 13. स्थितप्रज्ञस्य [ ( स्थित ) भूकृ - (प्रज्ञ ) 6 / 1 वि] का ( किम् ) 1 / 1 सवि भाषा ( भाषा) 1 / 1 समाधिस्थस्य [ (समाधि) - ( स्थ) 6 / 1 वि] केशव (केशव) 8 / 1 स्थितधी: [[ ( स्थित ) भूकृ - (घी) 1 / 1 ) ]वि ] कि प्रभाषेत ' [ (किम्) + (प्रभाषेत ) ] किम् ( अ ) = कैसे. प्रभाषेत (प्र-भाष्) विधि 3 / 1 सक. किमासीत [ ( किम्) + (प्रासीत ) ] विधि 3 / 1 ग्रक व्रजेत' ( व्रज् )
=
किम् (प्र) – कैसे. प्रासीत' (श्रास्) विधि 3/1 सक. किम् (प्र) कैसे .
14. प्रजहाति (प्र-हा) व 3 / 1 सक यदा (प्र) = जब. कामान्सर्वान्पार्थ [ ( कामान्) + (सर्वान्) + (पार्थ) ] कामान् (काम) 2/3 सर्वान् (सर्व) 2/3 वि. पार्थ (पार्थ) 8 / 1 मनोगतान् ( मनोगत) 2 / 3 वि प्रात्मन्येवात्मना [(प्रात्मनि) + (एव) + (प्रात्मना ) ] श्रात्मनि (ग्रात्मन्) 7/1
1
/ 3] हि (श्र ) = निश्चय ही
त्यक्त्वा
1. भविष्यकाल की क्रिया की अभिव्यक्ति कभी-कभी विधिलिङ द्वारा भी होती है । ( प्राप्टे : संस्कृत निबन्ध-दर्शिका, पृष्ठ 165 )
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[ गीता
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