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62. अब्भुट्टाणं गहणं उवासणं पोसणं च सक्कार।
अंजलिकरणं पणमं भणिदमिह गुणाधिगाणं हि।।
अब्भुट्ठाणं
गहणं उवासणं पोसणं
च
सक्कारं अंजलिकरणं पणमं भणिदमिह
(अब्भुट्ठाण) 1/1
सम्मान में खडे
होना (गहण) 1/1
अपनाना (उवासण)1/1
सेवा में उपस्थित रहना (पोसण) 1/1
पोषण . अव्यय
तथा (सक्कार) 1/1
देखभाल (अंजलिकरण) 1/1 हाथ जोड़ना (पणाम) 1/1
साष्टांग प्रणाम [(भणिदं)+ (इह)] भणिदं (भण) भूकृ 1/1 कहा गया इह (अ) = इस लोक में इस लोक में [(गुण)+(अधिगाणं)] [(गुण)-(अधिग) 4/2 वि] गुणों में विशिष्ट
(श्रमणों) के लिए अव्यय
पादपूरक
गुणाधिगाणं
अन्वय- भणिदमिह गुणाधिगाणं अब्भुट्ठाणं गहणं उवासणं पोसणं सक्कारं अंजलिकरणं हि च पणमं।
___ अर्थ- इस लोक में (यह) कहा गया हैः गुणों में विशिष्ट (श्रमणों) के लिए (उनके आने पर) सम्मान में खड़े होना, (उनको) (श्रद्धापूर्वक) अपनाना, (उनकी) सेवा में उपस्थित रहना, (आहारादि देकर) (उनका) पोषण, (उनकी) देखभाल, (उनके उपस्थित होने पर) हाथ जोड़ना तथा (उनके प्रति) साष्टांग प्रणाम-(यह सब करने योग्य है)।
कोश में पणाम' शब्द पुलिंग दिया गया है, किन्त यहाँ पणाम' शब्द का प्रयोग नपुंसकलिंग में किया गया है।
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प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार