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17. मरदु व जियदु व जीवो अयदाचारस्स णिच्छिदा हिंसा।
पयदस्स णत्थि बंधो हिंसामेत्तेण समिदस्स।
मरदु
जियदु
जीवो
अयदाचारस्स
(मर) विधि 3/1 अक मरे अव्यय
अथवा (जिय) विधि 3/1 अकजीवे अव्यय
अथवा (जीव) 1/1
जीव (अयदाचार) 6/1 वि जागरूकता-रहित
आचरणवाले (णिच्छिदा) 1/1 वि निश्चित (हिंसा) 1/1
हिंसा (पयद) 6/1 वि जागरूक के अव्यय (बंध) 1/1
बंध [(हिंसा)-(मेत्त) 3/1 वि] हिंसामात्र से (समिद) 6/1 साधु के
णिच्छिदा
नहीं है
हिंसा पयदस्स णत्थि बंधो हिंसामेत्तेण समिदस्स
अन्वय- जीवो मरदु व जियदु व अयदाचारस्स समिदस्स हिंसा णिच्छिंदा पयदस्स हिंसामेत्तेण बंधो णत्थि।
___अर्थ- (कोई भी) जीव मरे अथवा जीवे जागरूकता-रहित आचरणवाले साधु के (आन्तरिक) हिंसा निश्चित (है)। जागरूक (साधु के) (बाह्य) हिंसामात्र से (कर्म) बंध नहीं है।
प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार
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