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________________ 8. वदसमिदिदियरोधो लोचावस्सयमचेलमण्हाणं। खिदिसयणमदंतवणं ठिदिभोयणमेगभत्तं च।। एदे खलु मूलगुणा समणाणं जिणवरेहिं पण्णत्ता। तेसु पमत्तो समणो छेदोवट्ठावगो होदि।। वदसमिदिदियरोधो [(वद)-(समिदि)- महाव्रत, समिति, (इंदियरोध) 1/1] . इंद्रियनिरोध लोचावस्सयम- [(लोच)+(आवस्सयं)+ चेलमण्हाणं (अचेलं)+ (अण्हाणं)] [(लोच)-(आवस्सय) 1/1] लोंच, आवश्यक अचेलं (अचेल) 1/1 दिगम्बर अवस्था अण्हाणं (अण्हाण) 1/1 स्नान नहीं करना खिदिसयणमदंतवणं [(खिदिसयणं)+ (अदंतवणं)] खिदिसयणं (खिदिसयण) 1/1 भूमि पर सोना अदंतवणं (अदंतवण) 1/1 दाँतौन नहीं करना ठिदिभोयणमेगभत्तं [(ठिदिभोयणं)+ (एगभत्तं)] ठिदिभोयणं (ठिदिभोयण) 1/1 खड़े होकर भोजन करना एगभत्तं (एगभत्त) 1/1 एक बार भोजन करना अव्यय (एद) 1/2 सवि अव्यय वास्तव में मूलगुणा (मूलगुण) 1/2 मूलगुण समणाणं (समण) 4/2 श्रमणों के लिए जिणवरेहिं (जिणवर) 3/2 जिनवरों के द्वारा और Adi खलु (18) प्रवचनसार (खण्ड-3) चारित्र-अधिकार
SR No.004160
Book TitlePravachansara Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamalchand Sogani, Shakuntala Jain
PublisherApbhramsa Sahitya Academy
Publication Year2014
Total Pages144
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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