________________
61. णरणारयतिरियसुरा संठाणादीहिं अण्णहा जादा।
पज्जाया जीवाणं उदयादीहिं णामकम्मस्स।।...
णरणारयतिरियसुरा
संठाणादीहिं
सहित
अण्णहा
[(णर)-(णारय)- मनुष्य, नारकी, (तिरिय)-(सुर) 1/2] तिर्यंच और देव . [(संठाण)+(आदीहिं)] ... [(संठाण)-(आदि) 3/2] . शरीर आकार आदि
सहित .. अव्यय
विभाव रूप में (जा) भूकृ 1/2 उत्पन्न हुई (पज्जाय) 1/2 पर्यायें (जीव) 6/2
जीवों के [(उदय)+ (आदीहिं)] (उदयादि) 3/2 उदयादि से (णामकम्म) 6/1
जादा
पज्जाया जीवाणं
उदयादीहिं
णामकम्मस्स
नामकर्म के
अन्वय- जीवाणं णामकम्मस्स उदयादीहिं णरणारयतिरियसुरा पज्जाया संठाणादीहिं अण्णहा जादा।
अर्थ- (संसारी) जीवों के नामकर्म के उदयादि से मनुष्य, नारकी, तिर्यंच और देव पर्यायें (होती हैं), (वे) (नामकर्म के उदय आदि के कारण) शरीर आकार आदि सहित (स्वभावपर्याय से भिन्न) विभावरूप में उत्पन्न हुई (पर्यायें हैं)।
(76)
प्रवचनसार (खण्ड-2)
Jain Education International
For Personal & Private Use Only
www.jainelibrary.org